बरेली। बारह गांवों के किसानों की भूमि अधिग्रहण मामले ने अब तूल पकड़ लिया है। तय बैठक के बाद भी कमिश्नर से मुलाकात नहीं होने से गुस्साए किसान अब मरने मारने पर उतारू है। किसानों का कहना है कि वह अपनी जमीन को किसी भी कीमत पर नहीं देंगे। फिर चाहें इसके लिए नौबत मरने मारने तक क्यों नहीं पहुंच जाए। इसी को लेकर सभी 12 गांवों के किसानों ने बुधवार को इटौआ माफी गांव के साप्ताहिक बाजार में एकत्र होकर जमीन को अधिग्रहण होने से रोकने के लिए योजना बनाई। इनके साथ आस-पास के गांव के भी किसानों सहित राजनेताओं ने भी अपना समर्थन दिया। किसानों की बैठक में पीएसी को भी तैनात किया गया। डर था कि किसान मीटिंग दौरान कहीं उग्र न हो जाए। इसलिए सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रखने के लिए भारी संख्या में पीएसी को तैनात किया गया था। बैठक में प्रशासन के खिलाफ तमाम नारेबाजी हुई। यहां तक की मुरादाबाद के भी जोर-शोर से नारे लगाए गए। बैठक के दौरान किसानों का गुस्सा स्पष्ट दिखाई दे रहा था। बैठक में भारतीय मजदूर किसान संगठन राष्ट्रवादी और किसान एकता संघ समेत कई किसान संगठनों ने अपना समर्थन दिया। आपको बता दें कि शहर के डेवलपमेंट के लिए बीडीए अपनी पुरानी जमीनों की तलाश कर रहा है। इसी बीच बीडीए को पता चला कि उनकी सैकड़ों बीघा जमीन रामगंगा योजना के आस-पास में पड़ी है। जब बीडीए ने मौके पर जाकर जांच पड़ताल शुरू की तो पता चला कि जमीन पर अवैध निर्माण कब्जे हो चुके है। इसके बाद जब बीडीए ने अपनी जमीन को कब्जाने के लिए कार्रवाई शुरू की तो किसानों ने हंगामा कर दिया। उनका कहना था कि वह उनकी जमीन है, बीडीए जबरदस्ती उसे अधिग्रहण कर रहा है। इस मामले को लेकर 24 अगस्त को किसानों ने प्रदर्शन करते हुए कमिश्नरी का घेराव किया था। इस दौरान कमिश्नर ने किसानों के साथ 31 अगस्त को मीटिंग का समय तय किया था। मगर 31 अगस्त को किसानों से कमिश्नर नहीं मिले। पता चला कि वह बदायूं जा चुके थे। इसके बाद उनका गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया और हंगामा हो गया। इसी मामले को लेकर उन्होंने बुधवार को भी बैठक की जिसमें उन्होंने आगे की रणनीति तैयार की है।।
बरेली से कपिल यादव