बरेली। सोमवार को आल इंडिया तंज़ीम उलमा ए इस्लाम के तत्वाधान मे भारत छोड़ो आंदोलन के दिवस पर एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता करते हुए तंज़ीम के राष्ट्र महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने भारत छोड़ो आंदोलन के महत्व व इतिहास को जनता के दरमियान विस्तार से बताया। मौलाना ने कहा कि हिन्दू और मुसलमान दोनों ने मिलकर भारत को आजाद कराया और अंग्रेजो को सात समुंदर पार भेज दिया। अब फिर दोनों समुदाय के लोग मिलकर भारत की तरक्की और खूशहाली के लिए काम करेंगे और भारत को ऊंचाइयों की आखरी मंजिल तक ले जाएंगे। मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि 8 अगस्त 1942 को बॉम्बे में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र में मोहनदास करमचंद गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया। अगले दिन, गांधी, नेहरू और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कई अन्य नेताओं को ब्रिटिश सरकार ने गिरफ्तार कर लिया। उस समय पूरे देश में उच्छृंखल और अहिंसक प्रदर्शन हुए। भारत छोड़ो आंदोलन किसी भी चीज़ से अधिक, ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय लोगों को एकजुट करता था। हालाँकि 1944 तक अधिकांश प्रदर्शनों को दबा दिया गया था, 1944 में अपनी रिहाई के बाद गांधी ने अपना प्रतिरोध जारी रखा और 21 दिनों के उपवास पर चले गए। द्वितीय विश्व युद्ध के अंत तक, दुनिया में ब्रिटेन का स्थान नाटकीय रूप से बदल गया था और स्वतंत्रता की मांग को अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता था। इस अवसर पर मुफ्ती सिराजुद्दीन कादरी, मौलाना शेएब रजा, मौलाना दिलकश, मौलाना सलीम रजवी, मौलाना इदरिस नूरी ने भाषण दिए। प्रसिद्ध समाजसेवी हाजी नाजीम बेग ने संचालन किया। मुख्य रूप से इस्राइल खां प्रधान, सलीम खां , जारीफ गद्दी, महताब मियां, खलील कादरी, मोहसिन खां, साबिर अली, इब्राहिम शेख़, तय्यब अली, अबसार अहमद आदि सैकडो लोग उपस्थित थे। मुफ्ती सलीम नूरी बरेलवी की दुआ पर कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।।
बरेली से कपिल यादव