बाड़मेर/राजस्थान- बिपरजाय तो सप्ताह भर के बाद में आप लोग भूल जाएगें लेकिन आने वाले तूफान तेज को नहीं भूलेंगे कारण उसके नाम से ही हर भारतीय को परिचय का मोहताज नहीं है। बारिशों के मौसम में अक्सर छोटे बड़े समुद्री तूफान प्राकृतिक वातावरण में लोगों द्वारा की गई छेड़छाड़ का ही दुष्परिणाम है। हमें प्रकृति के साथ साथ प्रदूषण और अन्धाधुन्ध कटाई चाहे पेड़ हो या फिर पहाड़ विकास के नाम पर नहीं मानवता में सहायक और उपयोगी सिद्ध करने की जगह पर ताबड़तोड़ विनाश कर रहे हैं और फिर कहते हैं कि आजकल धरती पर तूफान आ रहा है और झेलों अगले तूफान तेज की तेज’ गति को ज्यादा दूर नहीं है।
अरब सागर में उठे चक्रवाती तूफान बिपरजॉय का नाम बांग्लादेश ने रखा था। यह बंगाली भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है आपदा। उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र में अगला उष्णकटिबंधीय चक्रवात ‘तेज’ आएगा। यह नाम भारत के सुझाव पर रखा जाएगा।
दरअसल विश्व मौसम संगठन के नेतृत्व में पूरे विश्व में छ: रीजनल स्पेशलाइज्ड मेट्रोलॉजिकल सेंटर और पाच रीजनल ट्रॉपिकल साइक्लोन वार्निंग सेंटर बने हुए हैं। भारत भी एक आर एस एम एस सी का सदस्य है, जिसमें सदस्य देश उत्तरी हिंद महासागर यानी अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में आने वाले चक्रवाती तूफान का नामकरण करता है। इस संगठन में वर्तमान में तेरह देश शामिल है। भारत के अलावा बांग्लादेश, ईरान, मालदीव, म्यामार, ओमान, यमन, पाकिस्तान, कतर, सऊदी अरब, श्रीलंका, थाईलैंड और यूनाइटेड अरब अमीरात शामिल हैं।
भारतीय प्रायद्वीप क्षेत्र में चक्रवाती तूफानों के नामकरण की शुरुआत 2004 में हुई थी। सभी देश बारी-बारी से क्षेत्र में आने वाले चक्रवाती तूफान का नामकरण करते हैं। अंग्रेजी में अल्फाबेटिकल क्रम के अनुसार देशों का मौका दिया जाता है। सबसे ऊपर बांग्लादेश है और सबसे अंत में यूएई, वर्ष 2019 में हुई बैठक में सभी 13 देशों ने 13 तूफानों के नाम की सूची सौंपी थी यानी कुल 163 तूफानों की सूची वर्तमान में विश्व मौसम संगठन के पास में मौजूद है। अब तक 14 नाम का उपयोग किया जा चुका है। पन्द्रहवां तूफान तेज होगा। पिछले महीने बंगाल की खाड़ी से मोचा तूफान आया था, जिसका नाम यूएई ने रखा था।
– राजस्थान से राजूचारण