बाल गंगाधर तिलक व शहीद चन्द्रशेखर आजाद की जयन्ती पर माल्यार्पण कर संगोष्ठी का हुआ आयोजन

कानपुर- शहर कांग्रेस कमेटी, कानपुर उत्तर के अध्यक्ष श्री नौशाद आलम मंसूरी की अध्यक्षता में आज कांग्रेस मुख्यालय तिलक हाल में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के यशस्वी महानायक बाल गंगाधर तिलक की 166वीं जयंती एवं क्रान्तिदूत अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद की 116वीें जयन्ती पर उनके तैलचित्रों पर माल्यार्पण के पश्चात पुष्पांजलि संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर बाल गंगाधर तिलक को देश के सच्चे महायोगी, उद्भट विद्वान व आध्यात्मिक युग दृष्टा बताते हुये शहर कांग्रेस अध्यक्ष नौशाद आलम मंसूरी ने कहा कि बाल गंगाधर तिलक ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ उग्र व प्रभावी आन्दोलन की शुरूआत तिलक जी ने ही की थी। स्वदेशी आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाने, अध्यात्म को संबल बना कर गणपति महोत्सव व शिवाजी जयंती जैसे धार्मिक आयोजनो के जरिए महाराष्ट्र सहित संपूर्ण देश में अंग्रेजी साम्राज्य के खिलाफ एक नई जनक्रान्ति पैदा की थी। इतना ही नहीं तिलक जी ने स्वतंत्रता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं इसे प्राप्त करके रहूंगा, का उद्घोष ने करोड़ो भारतीयो को अंग्रेजी दास्ता के खिलाफ आक्रोश प्रदर्शित करने के लिए प्रेरित ही नही किया बल्कि अंगे्रजी हुकूमत को हिला कर रख दिया।

वहीं चंद्रशेखर आजाद को याद करते हुए कहा कि देशभक्त परिवार में जन्मे आजाद अल्पायु में ही स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गए थे। 14 वर्ष की आयु में जब उन्हें गिरफ्तार कर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया तो पूछने पर उन्होंने अपना नाम आजाद, पिता का नाम स्वतंत्रता और निवास जेल खाना बताया तो मजिस्ट्रेट क्रोधित हो उठे और उन्हें 15 कोड़ों की सख्त सजा सुनाई। जिस पर आजाद भरी अदालत में भारत माता की जय के नारे लगाने लगे और जब तक उन्हें कोड़े मारे जाते रहे वह लगातार भारत माता की जय के नारे लगाते रहे। कालान्तर में काकोरी काण्ड व सांडर्श हत्या कांड आदि गतिविधियों को अंजाम दिया। अंग्रेजी हुकूमत को नाको चने चबवा देने वाले आजाद ने 27 फरवरी 1931 को इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में अंग्रेजों से लड़ते हुए खुद को गोली मारकर अपने प्राणों का जो बलिदान दिया है जिसे भारत वासी उसे कभी भूल नहीं सकते।

पुष्पांजलि सभा का संयोजन श्री जितेन्द्र ब्रम्ह व संचालन श्री राम जी दुबे ने किया।

कार्यक्रम मे प्रमुख रूप से बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेश चन्द्र त्रिपाठी, पूर्व विधायक संजीव दरियबादी, शकर दत्त मिश्रा, दिलीप शुक्ला, कमल जायसवाल, पी0एल0 विनोदिया, धवल पाण्डेय, त्रिलोकी त्रिवेदी, लल्लन अवस्थी, श्री चन्द्रमणि मिश्रा, हीरा लाल निषाद, इज़हारूल अंसारी, के0जी0 गुप्ता, शानू बुन्देला, जावेद जमील उस्मानी, इम्तियाज रईस, रामचन्द्र गुप्ता, अफजाल अहमद, नीरज द्विवेदी, इमरान कुरैशी, अफजाल चैधरी, मो0 सलीम, रोशनी चैधरी, राज लक्ष्मी, जावेद पप्पू, आतिफ रहमान, अमित तिवारी, हिमांशु मिश्रा, अब्दुल रसीद, अशोक कोरी, सानतन्य दीक्षित, सन्तोष मिश्रा व राजेन्द्र वाल्मीकि आदि ने भी दोनों महापुरूषों का अपने श्रृद्धासुमन अर्पित किये।

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