नई दिल्ली- आज, बाबरी मस्जिद के विध्वंस की 26वीं सालगिरह पर, अनेक संगठनों के कार्यकर्ता और सैंकड़ों नागरिक एक साथ मिलकर मंडी हाउस से संसद तक प्रदर्शन कर रहे हैं।
इस जनप्रदर्शन और रैली को संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है जिसमें आयोजक संगठन हैं लोक राज संगठन, जमात ए इस्लामी हिंद, हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी, सीपीआई (एम.एल.) न्यू प्रोलेतेरियन, वेलफेयर पार्टी आॅफ इंडिया, सोशलिस्ट पार्टी आॅफ इंडिया, जन संघर्ष मंच हरियाणा, सिख फोरम, यूनाइटेड मुस्लिम्स फ्रंट, सिटिजंस फाॅर डेमोक्रेसी, यूनाइट अगेंस्ट हेट, निर्माण मजदूर पंचायत संगम, लोक पक्ष, हिन्द मज़दूर सभा(गाजियाबाद), मजदूर एकता कमेटी, मुस्लिम मजलिस-ए-मुषावरत (दिल्ली), पुरोगामी महिला संगठन, नौजवान भारत सभा, हिन्द नौजवान एकता सभा, एन.सी.एच.आर.ओ., ए.पी.सी.आर., स्टूडेंट इस्लामिक आॅर्गनाइजेषन और पी.यू.सी.एल. दिल्ली।
वक्तओं ने समझाया कि बाबरी मस्जिद के विध्वंस को पहले से सोचे-समझे व सुनियोजित तरीके से किया गया था। केंद्र में शासन कर रही कांग्रेस पार्टी और विपक्ष की भाजपा, दोनों ने देशभर में सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने में एक-दूसरे की पूरी मदद की थी। भाजपा ने देश भर में मस्जिद के विध्वंस के लिए खुलेआम अभियान चलाया था। बाबरी मस्जिद के विध्वंस का मकसद था सभी मुसलमान लोगों को जलील करना। वह हमारे समाज के दिल में भोंका गया एक छुरा था, जिसका इरादा था हमारे लोगों की एकता और भाईचारे को चकनाचूर करना।
बीते 26 वर्षों के दौरान, अराजकता और हिंसा बहुत बढ़ गयी है। मुसलमान लोगों को लगातार सांप्रदायिक हमलों का निशाना बनाया गया है। सभी मुसलमानों को “आतंकवादी” और “पाकिस्तानी एजेंट” बताया जाता है। बेकसूर नौजवानों को पोटा और यू.ए.पी.ए. जैसे कानूनों के तहत सालों-सालों जेल में बंद रखा जाता है और प्रताड़ित किया जाता है। अनेक लोग फर्ज़ी मुठभेड़ों में मारे गये हैं। ”गौ रक्षा” के नाम पर, लोगों पर हमले किये जा रहे हैं।
हमारे लोगों के सामने एक बहुत ही खतरनाक स्थिति है। राजनीति का सांप्रदायिकीकरण और अपराधीकरण तथा राजकीय आतंकवाद का इस्तेमाल हमारे शासकों का पसंदीदा तरीका बन गया है। भाजपा और कांग्रेस जैसी पार्टियों ने यह साफ-साफ दिखा दिया है कि वे सत्ता में आने और सत्ता में टिके रहने के लिये कुछ भी करने को तैयार हैं, यहां तक कि सांप्रदायिक जनसंहार भी आयोजित करने को तैयार हैं। उनकी ये सारी कार्यवाहियां हमारी जनता की एकता और भाईचारे के लिये बहुत ख़तनाक हैं।
बाबरी मस्जिद के मामले को सिर्फ एक भूमि विवाद नहीं माना जा सकता है। इसमें मूल सवाल यह है कि आने वाली पीढ़ियों के लिये हम कैसा हिन्दोस्तान बनायेंगे? हिन्दोस्तान के लोगों ने हमेशा ही यह माना है कि सभी की खुशहाली और सुरक्षा सुनिश्चित करना राज्य का फर्ज़ है। आज त्रासदी यह है कि वर्तमान राज्य इस फर्ज़ को पूरा करने में नाकामयाब रहा है।
वर्तमान राज्य ने हमेशा ही यह सुनिश्चित करने का काम किया है कि बड़े-बड़े इजारेदार पूंजीवादी घराने लोगों को लूटकर जल्दी से अपनी दौलत को बढ़ा सकें। चुनावी प्रक्रिया से यह सुनिश्चित किया जाता है कि सरकार चलाने की ज़िम्मेदारी सिर्फ उन पार्टियों को दी जाये जिन्हें बड़े-बड़े इजारेदार पूंजीवादी घरानों का समर्थन प्राप्त हो। ये पार्टियां धर्म, जाति, इलाका या भाषा के आधार पर लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करती हैं और लोगों को आपस में भिड़ाती हैं, ताकि लोग एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिये संघर्ष न कर सकें।
सत्ता पर बैठी हुई पार्टी ने बार-बार राज्य की मशीनरी का पूरा इस्तेमाल करके, सांप्रदायिक हिंसा और राजकीय आतंकवाद फैलाया है। जब हमारे चुने गये प्रतिनिधि या राज्य के अधिकारी भयानक से भयानक अपराध करते हैं या नागरिकों की जान बचाने के अपने फर्ज़ को पूरा करने से मुकर जाते हैं, तो हम लोगों के पास उन्हें सज़ा देने का कोई तरीका नहीं है। इस व्यवस्था के अंदर लोगों को पूरी तरह दरकिनार करके रखा गया है।
वक्ताओं ने आह्वान किया कि “आइये, हम अपनी एकता को मजबूत करें और इस असूल के साथ आगे बढ़ें कि ”एक पर हमला, सब पर हमला” है। हमें सांप्रदायिक हिंसा और राजकीय आतंकवाद के पीड़ितों को “राष्ट्र-विरोधी” और “आतंकवादी” करार देने की शासकों और काॅरपोरेट मीडिया की सभी कोशिशों का डटकर विरोध करना होगा”।
सहभागी संगठनों ने यह मांग की कि 26 वर्ष पहले बाबरी मस्जिद के विध्वंस को आयोजित करने वालों और सांप्रदायिक कत्लेआम भड़काने वालों को पकड़कर कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाये। उन्होंने लोगों से अपील की कि सांप्रदायिक हिंसा और राजकीय आतंकवाद के खिलाफ़ व इंसाफ के लिये संघर्ष में एकजुट हों। “आइये, लोगों की एकता को तोड़ने के शासकों के प्रयासों को नाकामयाब करें! आइये, हम लोगों के हाथों में राज्य सत्ता के लिये संघर्ष को आगे बढ़ायें!”