बरेली मे नहाय-खाय के साथ लोक आस्था का महापर्व शुरू, घरों मे गूंजेगे सूर्य उपासना के मंत्र

बरेली। मंगलवार से लोक आस्था का महापर्व छठ नहाय खाय के साथ शुरू हो गया। बरेली मे भी तमाम महिलाएं छठ पूजा करेंगी। इसे लेकर मंदिरों मे विशेष इंतजाम किए गए है। पूजा स्थलों को फूलों एवं रंग-बिरंगी रोशनियों से सजाया गया है। रंगाई-पुताई के साथ-साथ सरोवर को साफ जल भरा गया है। मंदिर प्रबंधन समितियों की ओर से पूजा के दौरान श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। इसके लिए सभी व्यवस्थाएं चाक-चौबंद की गई है। मंदिर परिसर की सफाई पर विशेष ध्यान दिया गया है। ताकि व्रतधारी महिलाओं को सूर्य को अर्घ्य देने मे किसी प्रकार की दिक्कत न हो। मंदिरों में बांस के बने पारंपरिक सूप, डलिया और फलों से पूजा स्थल की सजावट की जा रही है। छह नवंबर बुधवार को खरना है। इसके बाद सात नवंबर गुरुवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य व्रती महिलाएं देगी। आठ नवंबर शुक्रवार को उदयाचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रत का समापन होगा। सूर्य उपासना के महापर्व के अवसर पर बाजारों में रौनक देखने को मिल रही है। व्रतधारी महिलाएं अपने परिवार के साथ पूजा सामग्री खरीदने के लिए बाजारों में पहुंच रही है। इस अवसर पर बाजारों में सूप, टोकरी, गन्ना, नारियल, केला, सेब और अन्य पूजा सामग्रियों की खूब बिक्री हो रही है। सभी पोखरों पर सुंदर और आकर्षक वेदी बनाई गई है। इन वेदियों को विभिन्न रंगों से रंगा जा रहा है। इन्ही वेदियों पर महिलाएं पूजा करती है और जल में खड़े होकर सूर्य की उपासना करती हैं। वेदियों के पास ही महिलाएं अपनी सामग्री रख पूजा अर्चना करती है। इस महापर्व के अवसर पर लोगों की ओर से घरों की साफ-सफाई और सजावट की जा रही है। आंगन को साफ-सुथरा कर मिट्टी के बने चूल्हे पर प्रसाद तैयार किया जा रहा है। खासतौर पर ठेकुआ, चावल के लड्डू और कद्दू-भात जैसी पारंपरिक चीज़ों का प्रसाद बन रहा है। पूजा के लिए बांस की बनी सूप, डलिया, और नारियल का उपयोग किया जा रहा है।।

बरेली से कपिल यादव

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