बरेली। इंसानियत का पैगाम देने वाला रोशनी का त्योहार जश्न-ए-चिरागा 22 नवंबर से दो दिन खानकाह नियाजिया मे चलेगा। दो दिन चलने वाले इस आयोजन में मन्नतों के लाखों चिराग जलाए जाएंगे। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए फनकार, बुद्धिजीवी व अन्य अकीदतमंद खानकाह में आना शुरू हो गए है। खानकाह के प्रबंधक शाह मोहम्मद सिब्तैन उर्फ शब्बू मियां ने बताया कि खानकाह में यह जश्न बीते 300 सालों से मनाया जा रहा है। शहर के बीच-ओ-बीच ख्वाजा कुतुब की पुरपेंच गलियों में से एक गली चुपचाप मोहब्बत व इंसानियत के पैगाम को दुनिया तक ले जाने का काम कर रही है। इस सूफी आस्ताने से भाईचारे की मुस्कुराहटें खुशहाली के रास्ते व हुव्वल बतनी (देश प्रेम) की खुशबू उड़कर बिना किसी भेदभाव के सबके पास पहुंचती है। सूफिज्म की रूह इनसे ही रौशन है। इस पाकीजा रस्म का बड़ी बेताबी से लोगों को रहता है। अकीदतमंद लोग मन्नत का चिराग उठाकर रोशन करते हैं। इस पाकीजा रस्म को उर्स-ए-महबूबी भी कहते हैं। 22 नवंबर को नियाजिया खानदान के साहबजादे आदि कदीमी सोने-चांदी के चिराग रोशन करेंगे। इस दिन हवेली में भी चिरागा होगा। इसी रस्म को 23 नवंबर को आगे बढ़ाया जाएगा। लोग मन्नत व मुरादों के लिए चिराग जलाएंगे। महिलाओं के लिए खास इंतजाम किया गया है। इस दौरान महबूब-ए-सुब्हानी व महबूब-ए-इलाही के कुल की रस्म पूरी की जाएगी। रात में महफिल-ए-समा का आगाजा होगा।।
बरेली से कपिल यादव