फरवरी मे मार्च जैसा मौसम, बढ़ते तापमान का गेहूं की फसल पर असर

बरेली। जनपद मे इस बार जनवरी माह से ही तापमान में बढ़ोतरी हो रही है। उसका असर रबी सीजन की फसलों पर पड़ने लगा है। इससे गेहूं के पौधों की लंबाई कम रहेगी। दाने भी हल्के और छोटे हो सकते हैं। तापमान मे हुए बदलाव ने उन किसानों की चिंता अधिक बढ़ा दी है। जिन्होंने दिसंबर में बुवाई की है। अगले सप्ताह तक तापमान ऐसा ही रहा तो उत्पादन पर असर पड़ेगा। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. आरएल सागर ने बताया कि गेहूं के लिए रात के समय ओस और दिन के समय चमकदार धूप सबसे अनुकूल मौसम होता है लेकिन इस बार गेहूं को चमकदार धूप तो मिल रही है लेकिन रात मे ओस मिलना लगभग बंद हो गई है। गेहूं को कई चरणों में अलग-अलग तापमान की आवश्यकता होती है। मार्च व अप्रैल में वसंत में तापमान बढ़ जाता है लेकिन अब इस बार फरवरी में ही मार्च जैसा तापमान होने से किसानों की चिंता बढ़ गई है। कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि गेहूं के लिए अधिकतम तापमान 24 और न्यूनतम 10 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। जनवरी और फरवरी माह में छह बार अधिकतम पारा 25 से 30 डिग्री तक पहुंच गया। वही न्यूनतम तापमान 14 डिग्री से नीचे नही हो रहा है। जिला कृषि अधिकारी ऋतुषा तिवारी ने बताया कि गेहूं को कम और स्थिर तापमान की आवश्यकता होती है। इस बार तापमान बढ़ गया। इससे गेहूं की फसल प्रभावित हो रही है। गेहूं की खेतों में नमी बनाए रखने के लिए 15-20 दिनों के अंतर पर सिंचाई करते रहें। तापमान की जानकारी लेते रहें। तेज हवाओं के दौरान सिंचाई न करें अन्यथा फसल गिर सकती है। जिला कृषि अधिकारी ऋतुषा तिवारी ने बताया कि गेहूं की अधिक सिंचाई न करें। इससे फसल गिरने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। 15 से 20 दिनों में एक बार ही सिंचाई करें। जिन किसानों ने देरी से फसल की बुवाई की है। उनकी फसल प्रभावित होने की संभावना है।।

बरेली से कपिल यादव

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