बरेली। संतान की दीर्घायु के लिए गुरुवार को महिलाओं ने अहोई अष्टमी का व्रत रखा। सुबह से निर्जला उपवास रखा। शाम को जैसे ही आसमान में तारे टिमटिमाते नजर आए तो महिलाओं ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। इसके बाद बच्चों के टीकाकर उन्हें उपहार भी दिए गए। गुरुवार को देशभर मे अहोई अष्टमी का पर्व मनाया गया। कार्तिक मास की अष्टमी को माता अहोई व्रत का विधान बताया गया है। अहोई अष्टमी पर महिलाओं में भी खासा उत्साह देखा गया। सुबह से ही महिलाओं ने पूजा-पाठ कर निर्जला व्रत रखा। शाम को कथा सुनकर व्रत का महत्व जाना। इसके बाद शाम को 6 बजे आसमान में तारे टिमटिमाते नजर आए तो महिलाओं ने पूजा की। थाली तैयार कर उसमें रोली, चावल, लड्डू आदि रखकर तारों व भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की। इसके बाद महिलाओं ने लड्डू, फल व पंचामृत का भोग लगाकर व्रत खोला। ज्योतिषाचार्य पंडित सुमित ने बताया कि इस व्रत का महात्म अहोई अष्टमी पर व्रत को खोलने का होता है। इसलिए जिस समय इस व्रत को तारे को अर्घ्य देकर खोलें उस समय अष्टमी तिथि होनी चाहिए। वही अहोई अष्टमी पर्व पर धर्मनगरी के प्रमुख बाजारों मे खासी चहल-पहल रही। अहोई अष्टमी को लेकर शहर का सर्राफा बाजार खासा गर्म रहा। महिलाओं ने बिछुए, पायल, मंगल सूत्र व चांदी से बने अहोई के छल्लों की खरीदारी की। सर्राफा व्यापारियों के अनुसार, अहोई अष्टमी के लिए चांदी की वस्तुओं की अधिक मांग रही।।
बरेली से कपिल यादव