पहली बार दिखा 13 सेमी का दुर्लभ एऑर्टिक एन्यूरिज्म, अपोलो के डॉक्टरों ने बचाई जान

पानीपत निवासी महिला मरीज बीते डेढ़ साल से पीठ दर्द, पेट दर्द से थी परेशानी, खाना भी खाती थीं कम

स्टेज 2 किडनी फेलियर के साथ एऑर्टिक एन्यूरिज्म होना भी थी गंभीर चुनौती

लखनऊ : बेहतर अनुभव की बदौलत दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। डॉक्टरों ने एक ऐसी महिला मरीज की जान बचाई है जो एऑर्टिक एन्यूरिज्म से ग्रस्त थी। यह एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें मरीज की महाधमनी में गुब्बारे जैसा उभार होता है। आमतौर पर यह उभार करीब 2.6 सेमी आकार का होता है लेकिन यहां करीब पांच गुना अधिक 13 सेमी बड़ा था। इसीलिए डॉक्टरों ने इसे एऑर्टिक एन्यूरिज्म का एक दुर्लभ मामला होने की पुष्टि की। जानकारी के अनुसार, हरियाणा के पानीपत निवासी 46 वर्षीय मरीज बीते डेढ़ साल से पीठ दर्द, पेट दर्द और भूख न लगने की वजह से परेशान थीं। इसके अलावा मरीज को स्टेज 2 किडनी फेलियर की शिकायत भी है जो इस मामले में गंभीर स्वास्थ्य चुनौती थी।
इन परेशानियों के साथ वह दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल पहुंचीं जहां डॉक्टरों ने चिकित्सा जांच में मरीज को प्रणालीगत उच्च रक्तचाप और बड़े पैमाने पर स्पंदनशील पेट में द्रव्यमान भी दिखा जो एक संवहनी विकार का संकेत देता है।
डॉक्टरों ने अन्य जांच में गुर्दे की धमनियों में अवरुद्ध और हीमोग्लोबिन के कम स्तर की पहचान भी की और इसी दौरान 13 सेमी आकार का एक असाधारण धमनीविस्फार भी मिला, जो सामान्य तौर पर 2.6 सेमी के औसत आकार से काफी अधिक है।
डॉक्टरों के अनुसार, मरीज की इस स्थिति में तत्काल सर्जरी विकल्प है लेकिन उन्हें यह भी पता था कि महिला मरीज में सर्जरी का जोखिम भी अधिक है। यह सभी जानकारी मरीज के साथ भी साझा की गईं। इसके बाद बीते छह अक्टूबर 2023 को इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के कार्डियोवास्कुलर और एऑर्टिक लीड विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. निरंजन हिरेमथ और नेफ्रोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. जयंत के होते की निगरानी में मरीज को भर्ती किया गया।
नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के कार्डियोवास्कुलर और एऑर्टिक लीड विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. निरंजन हिरेमथ ने कहा,”हमारे लिए यह बेहद चुनौतीपूर्ण मामला था क्योंकि एन्यूरिज्म के आकार और सूजन के कारण मरीज की हालत तेजी से बिगड़ रही थी। एन्यूरिज्म लगभग फटने ही वाला था और उसे रोकने के लिए तत्काल सर्जरी ही विकल्प थी। इस स्थिति में मरीज की जान का जोखिम लगभग 100 फीसदी रहता है। इसके उपचार के लिए एक व्यापक और बहु-विषयक दृष्टिकोण की आवश्यकता है।”
उन्होंने बताया, “हमने मरीज को बीते छह अक्टूबर को भर्ती कर सर्जरी प्रक्रिया का पालन किया। सर्जरी के दौरान एक कृत्रिम ट्यूब ग्रैप्ट का उपयोग किया जिसके जरिए गुब्बारे जैसे उभार को खत्म करने में मदद मिली। सर्जरी के बाद करीब 24 घंटे तक गहन निगरानी के बाद मरीज को वेंटिलेटर से बाहर लिया और बीते 18 अक्तूबर को उन्हें छुट्टी दे दी गई।”
वहीं नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. जयंत के होते ने कहा, “इस जटिल मामले ने एक महत्वपूर्ण चिकित्सा चुनौती पेश की लेकिन हमारी प्राथमिकता मरीज की परेशानी को प्रभावी तरीके से ठीक करना था। इस मामले का सफल उपचार विशेषज्ञता और समर्पण का प्रमाण है।”
दुर्लभ और जटिल मामला होने के बाद भी सफलता हासिल करने पर डॉ. होते ने कहा कि यह कामयाबी इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में हमारी टीम के साथ-साथ हमारे चिकित्सा विशेषज्ञों और रोगी के दृढ़ संकल्प के बीच सहयोग का एक उदाहरण है। हम अपने रोगियों को उच्चतम गुणवत्ता वाली देखभाल प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें इस बात पर गर्व है कि हमने मरीज को जीवन की बेहतर गुणवत्ता प्राप्त करने में मदद की है।

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