*देश के आखिरी रेलवे स्टेशन मुनाबाव पर रेलगाड़ी से सफर करने वाले यात्रियों की परेशानी
बाड़मेर/राजस्थान- भारत पाकिस्तानी सरहदों पर स्थित आखिरी रेल्वे स्टेशन मुनाबाव जहाँ पर वाघा बोर्डर की तरह आधुनिक रेल्वे स्टेशन बना हुआ है और उसके सामने ही सिर्फ टीन शैड युक्त पाकिस्तानी रेल्वे स्टेशन की सुविधाओं को देखकर लगता है कि हमारे देश में रेल्वे स्टेशन पर हजारों सुविधाओं के साथ आधुनिक युग के किसी माल जैसे दिखाई देता है। मुनाबाव रेल्वे स्टेशन पर लगभग एक दशक तक भारत पाकिस्तानी के बीच में समझौता एक्सप्रेस की तरह ही थार एक्स्प्रेस रेलगाड़ी का एक फैरा हुआ करता था लेकिन जब से थार एक्स्प्रेस रेलगाड़ी को केन्द्र सरकार द्वारा बन्द किया गया था उसके साथ ही मुनाबाव रेल्वे स्टेशन पर यात्रियों और सरहदों पर रहने वाले ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों और भारतीय सेना के जवानों को शीतल जल ठण्डा मीठा पानी मिलना ही बन्द हो गया कारण ठेकेदार द्वारा समय समय पर आर ओ प्लांट की देखभाल करता था थार एक्स्प्रेस बन्द तो रेल्वे अधिकारी भी मस्त, पिछले दो तीन साल से तो आर ओ प्लांट की हालत रामभरोसे बना हुआ है।
सरहदों के नजदीकी गांवों में ग्रामीणों को मीठा पानी पिलाने के नाम पर सरकारों द्वारा लाखों रुपए खर्च किए गए। लेकिन लोगों काे आज भी मुनाबाव रेल्वे स्टेशन पर शुद्ध व ठण्डा मीठा पेयजल नहीं मिल रहा है। रेल्वे के विभागीय अधिकारियों की जानबूझकर अनदेखी व देखरेख के अभाव में पिछले दो तीन सालों से आरओ प्लांट बंद पड़ा है।
सरहदों पर भारतीय सेना के जवानों ने कहा कि पहले मुनाबाव रेल्वे स्टेशन पर एक ही रेलगाड़ी चलतीं थी और आजकल दो रेलगाड़ियों के आने से रेल्वे को यात्रियों से शानदार रेवन्यू मिलेगा और हमारे को भी बाड़मेर जोधपुर से लम्बी दूरी की रेलगाड़ियां मिल जाएगी। स्टेशन पर खारे पानी को मीठा पानी से बदलने वाले आर ओ प्लांट से हालांकि, शुरुआत में लोगों को शुद्ध पेयजल मिल रहा था, लेकिन जबसे आरओ प्लांट खराब होने के चलते ग्रामीणों को शुद्ध ठण्डा पानी नहीं मिल रहा है।
ऐसे में सरहदों के लोगों को शुद्ध व मीठा ठण्डा पेयजल उपलब्ध कराने के सरकारी दावे खोखले साबित हो रहे हैं। यही वजह है लाखों रुपए की धनराशि बेकार साबित हो रही है। वहीं आरओ प्लांट की समय-समय पर देखभाल नहीं होने के कारण आरओ प्लांट के आसपास झाड़ियां उग गई है। आरओ प्लांट झाड़ियों में समा चुका है। जिससे वहां पर संक्रमण फैलने की भी आशंका बनी हुई है।
गडरा रोड़ के व्यपारी शेखर भूतड़ा ने बताया कि मुनाबाव रेल्वे स्टेशन पर थार एक्स्प्रेस रेलगाड़ी चलने के दौरान रेल्वे मन्त्रालय और केन्द्र सरकार ने यहां पर एक आरओ प्लांट लगवा दिया था।लेकिन वह भी लंबे समय से बंद होने से लोगों को पीने के लिए ठण्डा पानी की सुविधा नहीं मिल रही है। लाखों रुपए खर्च होने के बाद भी सरकारी योजनाओं का ग्रामीणों को कोई फायदा नहीं मिल रहा है। गर्मी के दिनों में पानी की मांग हमारे क्षेत्र में बढ़ जाता है। पेयजल किल्लत के चलते रोजाना ग्रामीणों को परेशानीयों का सामना करना पड़ रहा है।
बेरोजगारी से त्रस्त होकर सरकारी नौकरी लगते ही अपने घर परिवार को छोड़कर भारत पाकिस्तानी सरहदों के
नजदीकी गावों में बच्चों को पढाने के लिए नियुक्त बाहरी जिलों के सैकड़ों शिक्षकों ने बताया कि बाड़मेर मुनाबाव रेल्वे स्टेशन तक चलने वाली सवारी रेलगाड़ियों से रेल्वे को प्रतिमाह लाखों रुपये का टिकट बिकता है।हजारों लोग इस रेलमार्ग के रास्ते आते-जाते है।बावजूद इसके यात्रियों को जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए रेलवे के अधिकारी गम्भीर नहीं हैं। खराब पडा़ आर ओ प्लांट से ठण्डा पानी उपलब्ध कराने का जबाब रेलवे के अधिकारियों व कर्मचारियों के पास नहीं है। ठीक इसी तरह प्लेटफार्म नम्बर एक पर लगा आरओ प्लांट सालों से खराब है उसे भी ठीक कराने के लिए रेलवे के अधिकारी गम्भीर नहीं है। गर्मी के मौसम में देश के आखिरी रेल्वे स्टेशन मुनाबाव जैसे महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन पर पेयजल की समुचित व्यवस्था न होना रेल अधिकारियों के कर्तव्य निष्ठा पर प्रश्नचिन्ह जरूर लगा रहा है।
इस बाबत रेल्वे स्टेशन मुनाबाव पर भारतीय सेना के जवानों और सरहदों पर रहने वाले ग्रामीण रेल यात्रियो ने बताया कि मुनाबाव स्टेशन मास्टर द्वारा आरओ को ठीक करने के लिए कई बार उच्च अधिकारियों को जानकारी देने के साथ ही पत्र भेजा गया था लेकिन आरओ को अभी तक ठीक नहीं किया गया, अधिकारी जब कभी ट्विटर पर शिकायत दर्ज होने पर सरकारी खानापूर्ति करने के लिए चक्कर जरूर लगा देते हैं लेकिन पिछले छ: महिने से आर ओ प्लांट से लोगों के लिए ठण्डा पानी की दो बून्द नहीं निकला है। ठण्डा पानी की जगह पर आने वाले खारे पानी का पिछले दो सालों से कपड़े धोने में जरूर उपयोग करते हैं और खारे पानी को पिने पर अन्य राज्यों के लोगों का पेट जरूर खराब हो जाता है।
– राजस्थान से राजूचारण