पंचतत्व में विलीन हो गया यूपी के सुपरकॉप राजेश साहनी का शरीर

यूपी एटीएस (आतंक निरोधी दस्ते) के एएसपी राजेश साहनी ने मंगलवार को लखनऊ के गोमतीनगर स्थित ATS मुख्यालय में अपनी सर्विस रिवॉल्वर से गोली मारकर खुदकुशी (suicide) कर ली थी। राजेश साहनी की आत्महत्या की खबर ने सबको सन्न कर दिया। आज लखनऊ के बैकुंठ धाम में राजेश साहनी का अंतिम संस्कार कर दिया गया।

डीजीपी ने दिया कंधा

उत्तर प्रदेश पुलिस के जाबाज अफसर राजेश साहनी को राजधानी लखनऊ स्थित पुलिस लाइन में अंतिम सलामी दी गई। यूपी पुलिस के मुखिया ओपी सिंह ने राजेश साहनी के पार्थिव शरीर को कंधा दिया। जिसके बाद राजेश साहनी के शव को बैकुंठ धाम लाया गया।

बेटी ने दी मुखाग्नि

एएसपी राजेश साहनी की बेटी श्रेया ने मुखाग्नि दी। ऐसा बहुत ही कम देखने को मिलता है जब एक बेटी अपने पिता को मुखाग्नि देती है।

नम हुईं आखें

यूपी एटीएस के एएसपी राजेश साहनी का अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस दौरान वहां मौजूद परिजनों के साथ-साथ पुलिस अधिकारियों की आंख नम थी। राजेश साहनी यूपी पुलिस के तेज तर्रार अधिकारियों में से एक थे। राजेश साहनी 1992 बैच के पीपीएस अधिकारी थे और जल्दी ही प्रमोट होकर आईपीएस बनने वाले थे।

कई बड़े ऑपरेशन को दिया था अंजाम

मई 2018: इस्लामाबाद के भारतीय उच्चआयोग के अधिकारी के घर दो साल रहकर आईएसआई के लिए जासूसी करने वाले रमेश सिंह को पिथारौगढ़ से गिरफ्तार किया।

सितम्बर 2017: कई बंग्लादेशी घुसपैठियों की धरपकड़ करके अहम खुलासे किए। जिनका सम्बंध बंग्लादेश के आतंकवादी संगठन अंसारउल्ला बंग्ला टीम से था।

अगस्त 2017: बब्बर खालसा से जुड़े उग्रवादी जसवंत सिंह काला को उन्नाव के एक फार्म हाउस से गिरफ्तार किया।

मई 2017: फैजाबाद से आईएसआई एजेंट आफताब को पकड़ा। आफताब की गिरफ्तारी से आईएसआई के कई स्लीपिंग माड्यूल का खुलासा हुआ।

वर्ष 2013: एनआईए (नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी) में तैनाती के दौरान असलहा तस्करों के गैंग की कमर तोड़ने में अहम भूमिका निभाई। कार्रवाई से नक्सलियों को होने वाली असलहे की आपूर्ति बाधित हो गई।

राजेश साहनी का पत्रकारों से दिल का रिश्ता

वरिष्ठ पत्रकार उमेश उपाध्याय कहते हैं कि राजेश साहनी जैसे अच्छे लोग ही जल्दी क्यों चले जाते हैं। वो भी इस तरह…यकीन नहीं होता। वो कहते हैं कि जब राजेश साहनी 95-96 में जी न्यूज के साथ थे, तब मैं जी न्यूज में एडिटर था। वो जी न्यूज में असाइनमेंट डेस्क पर थे। इसके बाद राजेश साहनी ने यूपी पुलिस ज्वाइन कर लिया।

लखनऊ में एबीपी न्यूज के एडिटर पंकज झाकहते हैं कि जी न्यूज में राजेश साहनी उस दौर के पत्रकार थे, जब यहां उमेश उपाध्याय, रजत शर्मा, विनोद कापड़ी, शाजी जमां और आलोक वर्मा थे। राजेश साहनी असाइमेंट डेस्क से जुडे़ थे। पकंज झा कहते हैं कि साहनी एक संवेदनशील पत्रकार थे और साहित्य में इनकी गहरी रुचि थी। साहनी साहित्यिक सम्मेलनों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते थे।

पकंज झा कहते हैं कि पटना कॉलेज में पढ़ाई के दौरान भी वे डिबेट में हिस्सा लिया करते थे। उस दौरान पटना यूनिवर्सिटी में बहुत ज्यादा गुंडागर्दी हुआ करती थी, जिसका साहनी विरोध भी करते थे। राजेश साहनी मिलनसार ते और शायद ही कोई ऐसा होगा, जिसने उनकी बुराई की होगी।

सीनियर पत्रकार राजेश बादल ने राजेश साहनीके पत्रकारिता के दिनों को याद करते हुए बताया कि करियर की शुरुआत में वे बहुत ही अच्छे पत्रकारों में से एक थे और तब वे जी टीवी के साथ थे। उन्होंने कहा, ‘अगर मुझे ठीक से याद है तो 95 के दौरान वे असाइनमेंट के साथ जुड़े हुए थे। साहनी बहुत ही मृदुभाषी पत्रकार थे और ईमानदार व काम के प्रति पूरी तरह से समर्पित थे। वे प्रोफेशनल जर्नलिज्म को समझने वाले, अपने सरोकारों को समझने वाले और पत्रकारिता के एथिक्स को समझने वाले पत्रकारों में से एक थे। वे बहुत ही मिलनसार और अपने टाइम को लेकर हमेशा पंचुअल रहते थे।’

उन्होंने बताया कि साहनी उन पुरानी पीढ़ी के पत्रकारों को साथ लेकर चलते थे और बाजारवाद की पत्रकारिता से दूर रहते थे और उसका सामना भी करते थे, जैसा कि आज के पत्रकारों में शायद ही देखने को मिलता है। हम लोगों से उनका रिश्ता बहुत अच्छा था। इसके बाद इनका चुनाव राज्य पुलिस सेवा में हो गया था। यहां भी उनकी छवि ईमानदार और एक धाकड़ पुलिस ऑफिसर की बनीं।

वहीं पूर्व वरिष्ठ पत्रकार विनोद कापड़ी ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए उन्हें अपने फेसबुक वॉल पर श्रृद्धांजलि देते हुए लिखा कि-

*क्यों राजेश क्यों ?*

आज दोपहर में जब राजेश के बारे में पंकज झा का मैसेज आया तो ऐसा लगा कि पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। तुरंत पंकज को फोन किया। उसने बताया कि अभी कुछ देर पहले ही राजेश ने अपनी सर्विस रिवाल्वर से खुद को गोली मार ली। कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करूं? फोन रखने के बाद मैंने फिर पंकज का मैसेज पढ़ा.. Rajesh Sahni committed suicide…दोबारा पंकज को मैसेज किया और पूछा are you sure..is he really died? पंकज का जवाब था: Though sad But it’s true..

पिछले तीन घंटे से यही सोच रहा हूं कि राजेश आखिर ये सब कैसे कर सकता है? राजेश ऐसा इंसान था ही नहीं। जितना मैं उसे जानता हूं या जानता था, उसके हिसाब से राजेश ऐसा कर ही नहीं सकता था। आखिर क्या हुआ होगा? यही सोच सोच कर परेशान रहा और कई दोस्तों को फोन लगाया.. किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि इतना मिलनसार, जिंदादिल, हंसमुख रहने वाला लड़का आखिर आत्महत्या कैसे कर सकता है?

मीडिया विश्लेषक वर्तिका नंदा ने लिखा कि तुम चले गए क्‍या राजेश? सच में चले गए क्‍या? मैं कल तुम्‍हीं से मिलने आने वाली थी लखनऊ। सोचा, मिलेंगे क्‍या अब ऐसा कभी नहीं होगा? इस पूरी दुनिया में किसी को शायद आभास भी न हुआ कि तुम एक बेहद नेकदिल इंसान से भी बहुत बहुत ज्‍यादा थे। आज से ठीक दो बरस पहले मैं दैनिक हिन्दुस्‍तान के एक काम के लिए लखनऊ गई थी। राजेश ने अखबार में मेरा नाम पढ़ लिया। वह आया। हम उस दिन शायद 20 बरस बाद मिले। उसके बाद मैं जब भी लखनऊ गई, राजेश मिला। यह तस्वीर लखनऊ विश्वविद्यलय में ली गई थी। वह यहां सिर्फ इसलिए आया कि उसे मेरा व्याख्यान सुनना था।

राजेश, तुम्‍हारे जैसा कभी कोई नहीं हुआ, न होगा। तुम्हारे साथ बिताए जी टीवी के जे 27 के दिन हम सब हमेशा याद करते रहेंगे। और हमें इस घटना के लिए जिम्मेदार इंसान को सजा दिलानी है। राजेश इस तरह आत्महत्या कर ही नहीं सकते थे। आज मेरे मन का बड़ा हिस्सा मर गया है।

वरिष्ठ पत्रकार खालिद हामिद ने लिखा कि ये जो विनोद ने लिखा, उसके आगे मैं क्या लिखूं, यही सब तो मेरे दिल मे भी है, आंसुओं के साथ, हम सब जो 1994-95 में जी न्यूज रूम में थे आज हिले हुए हैं… शाज़ी का फोन आया, वर्तिका रो रही थी, उसे आज लखनऊ में होना था राजेश से मिलने के लिए, कल ही राजेश की बेटी की जॉब तय हुई थी, खुश था… और तीन दिन पहले इसी दोस्त ने मुझे मैसेज किया कि 31 से 7 जून तक मुम्बई आ रहा हूं, तुम हो न वहां, मिलेंगे… हंसकर लिखा… सीरियल में मेरे लिए रोल रखना… ये क्या किया राजेश, रोल ही खत्म कर लिया! विनोद ने लिखा न, वैसे ही मुझे भी कभी भरोसा नही होता था कि इतना नरम दिल इंसान पुलिस में कैसे रहेगा, मैं मजाक भी करता था उस से… तुम गोली कैसे चलाओगे… दोस्त ने जवाब दे दिया, मगर रुलाकर।

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