निजी स्कूलों की मनमानी से अभिभावक हैं परेशान

*आर टी ई के तहत प्रवेश पानें वालें बच्चों को किया जा रहा है तंग।
मौदहा/हमीरपुर – एक तरफ सरकार शिक्षा के स्तर को बढ़ाने तथा हर बच्चे को शिक्षा देने के लिए जोरशोर से ढिंढोरा पीट कर अपनी पीठ थपथपाती रहती है तथा आर टी ई के तहत आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को प्राईवेट स्कूलों में प्रवेश दिलाने की बात करती है लेकिन इस योजना के तहत जिस प्राईवेट स्कूल में बच्चों को प्रवेश मिलता है वहां स्कूल संचालन आए दिन बच्चों तथा उन के अभिभावकों को परेशा करते रहते है इस का उदाहरण मौदहा कस्बे का सेंन्ट पाल्स इन्टर कालेज है जहां आर टी ई के अन्तर्गत एक बिटिया का प्रवेश हुआ है बताते चलें कि अप्रैल माह में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के यहां से अभिभावक को बिटिया के प्रवेश हेतु सेंन्ट पाल्स स्कूल के नाम पत्र मिला तो अभिभावक नें स्कूल जाकर पत्र दिया जिस पर प्रधानाचार्य नें प्रवेश देनें से यह कहते हुए मना कर दिया कि ऐसा कोई कानून हमारी संस्था में लागू नही होता इस बात की जानकर अभिभावक नें शिक्षा विभाग के अधिकारियों की दी उस समय विकासखंड मौदहा बी ई ओ प्रभारी तोमर सिंह की मध्यस्थता से स्कूल प्रधानाचार्य नें प्रवेश तो ले लिया लेकिन आए दिन अभिभावक को तंग करता रहा । गर्मियों की छुट्टियों के बाद जुलाई में जब स्कूल पुनः खुला तो प्रधानाचार्य से अभिभावक से स्पष्टतः कहा कि हम बिटिया का प्रवेश निरस्त कर देगें इस बात की मौखिक शिकायत जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से की गयी जिस के बाद खंडशिक्षाधिकारी गोपाल वर्मा नें स्कूल में छापा मारा और चांच के आदेश दिये। इस के अलावा इस स्कूल की ढेरों शिकायत अभिभावकों द्वारा की जाती रहती है लेकिन इस पर कार्रवाई नही होती है। कस्बे के निजी स्कूल पूरी तरह मनमानी पर उतर आए हैं। मनमाने ढंग से फीस निर्धारित करने वाला निजी स्कूल संचालकों ने नया सत्र प्रारंभ होते ही ड्रेस, जूता, मोजा के साथ ही किताबें और पाठ्यक्रम के नाम पर कमीशनखोरी का खेल जारी है। बेहतर शिक्षा के नाम पर अभिभावकों को लूटा जा रहा है। स्कूल संचालकों ने कहीं कापी-किताबों और ड्रेस के लिए दुकानों से सेटिंग कर रखी है तो कहीं खुद स्कूल से बांट रहे हैं। फीस बढ़ाकर तो जेब भरी ही जा रही है, कापी-किताब और ड्रेस से भी मोटी कमाई की जा रही है। इन स्कूल संचालकों पर जिला प्रशासन का किसी तरह का कोई अंकुश नहीं है। निजी स्कूलों में अच्छी शिक्षा और व्यवस्था का लालीपॉप देकर अभिभावकों को ठगा जा रहा है। फीस निर्धारण में मनमानी करने वाले स्कूल संचालकों ने चालू शिक्षासत्र में फीस में इजाफा कर दिया है। स्कूलों में फीस के साथ किताबों के दामों में बढ़ोत्तरी से अभिभावक परेशान हैं। अभिभावक कर्ज से बच्चों का दाखिला करवा रहे हैं। प्राइवेट स्कूलों द्वारा फीस के नाम पर किए जाने वाली मनमानी के खिलाफ शिक्षा विभाग की कुछ बोलने के बजाय मुंह बंद कर रखा है। प्राइवेट स्कूल संचालकों से कोई यह पूछने वाला नहीं कि आखिर किसके नाम पर इतनी भारी भरकम एडमीशन के नाम वसूली जा रही है।
मौदहा कस्बे में सालों से चल रहे सेंट पाल्स इन्टर कालेज जो इंग्लिश के नाम पर लोगों को खूब लूट रहा है जब कि सच्चाई यह है कि यहां पढ़ाई का स्तर नीहायत घटिया है कहनें को मिशनरी स्कूल है लेकिन यहां के मालिकों कों स्वयं अंग्रेजी भाषा का ज्ञान नही है। सेंन्ट पाल्स कालेज के प्रोस्पेक्टस में ढेरों गलतियां है अग्रेजी भाषा में छपे इन के प्रोस्पेक्टस का पहला शब्द कन्डीडेट की वर्तनी गलत है इसी पेज में दूसरी स्पेलिंग टैली गलत है इन के अलावा पूरे प्रोस्पैक्टस में न जाने कितनी गलतियां भरी पड़ी हैं ऐसे स्कूल बच्चों को? क्या सही ज्ञान देंगें जिन को खुद नही। अधिकतर विषय आयोग अध्यापकों द्वारा ही पढ़ावाए जा रहें।
अभिभावकों ने बोलें
सलमान ने कहा कि ड्रेस के नाम पर कमीशनखोरी की जा रही है। स्कूल वाले दुकानदार से सेट कर ले रहे या फिर वह स्वयं दुकान खोल दिए हैं। वहीं सुमन वर्मा ने कहा कि ड्रेस, किताब और कॉपी के दाम में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। हर साल किताबों में बदलाव किये जाने से इसकी अलग महंगाई की मार झेलनी पड़ती है। उधर शबनम बानों ने कहा कि नामी गिरामी निजी स्कूलों में मनमानी हो रही है। एडमिशन फीस के साथ ही कॉपी किताब के नाम पर अभिभावकों से अधिक पैसे वसूल किए जा रहे हैं।बबलू ने कहा कि जो ड्रेस 400 से लेकर 600 तक आ रहे हैं, वह आज 800 से ऊपर चले गए हैं। ड्रेस व किताब के नाम पर अभिभावकों से भारी भरकम पैसे वसूले जा रहे है।

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