बरेली। हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है। यह व्रत संतान की दीर्घायु एवं यश वैभव संपन्नता के लिए किया जाता है। इस बार यह पर्व पांच नवंबर रविवार को मनाया जाएगा। इस बार अहोई अष्टमी का व्रत रवि-पुष्य योग मे मनाया जा रहा है। यह दुर्लभ संयोग अर्सो बाद देखने को मिला है। आचार्य मुकेश के मुताबिक रवि-पुष्य योग को ज्योतिष मे सबसे बलशाली और समृद्धि कारक योग माना गया है। इस योग मे किया गया कोई भी कार्य निर्विघ्न संपन्न होता है और सभी इच्छाओं की पूर्ति भी शीघ्रता और सहजता से होती है। ऐसे मे इस दिन संतान के लिए किया गया व्रत पूजन का फल कई गुना अधिक मिलेगा। जिस कारण इस बार इस त्योहार का महत्व कई गुना अधिक बढ़ गया है। इस दिन माताएं निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को तारा और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत को खोलती हैं। पंचांगों के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पांच नवंबर को ब्रह्म मुहूर्त से पहले रात्रि 12 बजकर 59 मिनट से आरंभ हो रही है, जो छह नवंबर को सुबह तीन बजकर 18 मिनट पर समाप्त हो रही है। उदया तिथि और तारा देखने के हिसाब से अहोई अष्टमी का व्रत पांच नवंबर को रखा जाएगा। अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त रविवार की शाम 05:33 से 06:52, अवधि एक घंटा 18 मिनट रहेगा।।
बरेली से कपिल यादव