राजस्थान/बाड़मेर – बाड़मेर जैसलमेर जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं की समस्याओं का सालों से ग्रामीण क्षेत्रों में जगह जगह पर भारी अभाव है। हर बार चुनावों में मतदाताओं को इस उम्मीद से वोट डालते हैं कि उनकी समस्याओं का समाधान इस बार जरूर हो जाएगा, लेकिन चुनाव दर चुनाव बीतते गए, उनकी समस्याएं ज्यों की त्यों बरकरार रहीं।
राज्य के मुखिया भजन लाल शर्मा सरकार द्वारा समय-समय पर अधिकारियों और कर्मचारियों को सख्त हिदायत देते है। लेकिन वातानुकूलित कमरों में बैठकर जो दिशा-निर्देशों को जारी किए जाते हैं उन्हें धरातल पर लागू करने में अधिकांश अधिकारियों को अपनी तनख्वाह काटकर जनता जनार्दन को देने जैसा महसूस करते हैं। अगर सरकार का भय हमेशा आमजन को ही रहता है तो फिर सरकारी मशीनरी को क्यों नहीं इसके कारण ही मौजूदा हालात में बड़े बड़े नेताओं का जमावड़ा बाड़मेर जैसलमेर और बालोतरा जिलों में हो रहा है।
पिछले सालों विधानसभा और लोकसभा चुनाव का बिगुल बजा था, तो मतदाताओं ने अपनी मूलभूत समस्याओं का समाधान करने के लिए अपनी समस्याओं को लेकर मुखर हुएं थे। जागरूक मतदाताओं का कहना है कि हर बार ग्रामीण क्षेत्रों की उपेक्षा चुनावी प्रत्याशियों को भारी पड़ने वाली है, लेकिन होता हमेशा उल्टा ही कारण साम दाम और दण्ड भेद जो मौजूदा हालात में बहुत ही जरुरी नज़र आ रही है।
गांवों में अपनी शान समझने वाले लोगों का साफ कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों के साथ अब तक भेदभाव करने वाले जनप्रतिनिधियों व उनसे जुडे़ दलों के प्रत्याशियों से हिसाब मांगने का वक्त आ गया है। लेकिन हमेशा की तरह मतदाताओं को ठगने का कुछ महीनों बाद ही दर्द महसूस होता है।
सरहदी क्षेत्रो के ग्रामीण इलाकों में आज़ भी कन्याकुमारी से बाड़मेर वाया कोकेन रेल्वे रेलगाड़ी सहित लम्बी दूरी की रेलगाड़ियों, शिक्षा, परिवहन, सड़क, चिकित्सा सेवाओं, विधुत,जलापूर्ति जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई गई हैं। जिससे लोगों को अनेक प्रकार की परेशानियों से जूझना पड़ता है। यहां के लोगों को अब तक सिर्फ झूठे आश्वासनों के अलावा कुछ नहीं मिलता है।
सरहदों पर रहने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में छोटी बड़ी आबादी रहती है, लेकिन आबादी के लिहाज से अस्पतालों की कमी है। महिलाओं के लिए प्रसव केंद्र तक नहीं हैं। कोई गंभीर रूप से बीमार पड़ता है, उसे समय रहते नजदीकी गावों में कोई चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिल पाती है। ख़ासकर हमारे जनप्रतिनिधियों ने कभी इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।
ग्रामीण क्षेत्रों के प्रति अब तक जनप्रतिनिधियों का रवैया भेदभाव पूर्ण ही रहा है। यही कारण है कि ग्रामीण इलाके की परिवहनकर्ताओं की खटारा बसों की भरमार है, जो गंतव्य तक पहुंचने से पहले ही रास्ते में अक्सर दम तोड़ देती हैं। चुनाव में नेताओं द्वारा वादे तो सैकड़ों किए जाते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद उन वादों पर कोई अमल नहीं करता है अगर समाधान करते तो फिर आजकल बडे़ बडे़ नेताओं को बाड़मेर जैसलमेर और बालोतरा जिलों के छोटे बड़े गावों में रेलिया नहीं करनी पड़ती।
मूलभूत समस्याओं से केवल ग्रामीण इलाके के लोग नहीं बल्कि शहरी क्षेत्रों के लोग भी जूझ रहे हैं। जिस तेजी से शहरों के आसपास आबादी बढ़ी है, उस लिहाज से मूलभूत सुविधाओं का विस्तार नहीं किया जा सका है। किसी भी अधिकारी का भी इन पर कोई ध्यान नहीं होता है। गावों और शहरों में आजकल एक बात चर्चा का कारण है कि सरकारी कार्यालयों के अधिकारियों को अपनी जेब कटवाना नहीं बल्कि जेब का भार बढ़ाने पर विश्वास रखते हैं। ओर इनकी कृपालु दृष्टि से ही गावों और शहर में लगातार मूलभूत समस्याओं का समाधान नहीं करने की बाढ़ आ रही है।
– राजस्थान से राजूचारण