जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित नौ वर्षीय बच्चे को मिली संजीवनी

  • नई दिल्ली- जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित नौ वर्षीय बच्ची को संजीवनी मिली है। दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों को न सिर्फ ओपन हार्ट सर्जरी में सफलता मिली बल्कि बच्ची को नया जीवन भी दिया। डॉक्टरों के अनुसार, बच्ची काफी समय से थकान और सांस लेने में कठिनाईयों का सामना कर रही थी। उसका वजन भी कम था। परिजनों को एक स्थानीय अस्पताल में परामर्श करने पर पता चला कि बच्ची के दिल में छेद है जिसके कारण धमनियों से फेफड़ों में रक्त का प्रवाह हो रहा था और उन्होंने तत्काल उच्च जोखिम वाली सर्जरी की सलाह दी।इसके चलते परिजन बीते 19 जुलाई को दिल्ली पहुंचे और यहां उन्होंने इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया। यह जानकारी देते हुए इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के पीडियाट्रिक ‌कार्डियोलॉजी विभाग की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मनीषा चक्रवर्ती ने बताया कि प्रारंभिक जांच में पता चला कि बच्ची की दिल की दो बड़ी धमनियों के बीच रक्त का असामान्य संचार था, जिससे फेफड़ों के दबाव और बाएं दिल पर भार पड़ रहा था। साथ ही उसे फेफड़े की धमनी से दाहिनी कोरेनरी धमनी की असामान्य उत्पत्ति हुई थी। ऐसे में तत्काल एंजियोग्राफी करने की सलाह दी गई और उसके बाद ओपन हार्ट सर्जरी की गई।
  • डॉ. चक्रवर्ती के अनुसार, सर्जरी में किसी भी देरी होने पर जोखिम बढ़ सकता था। ऐसे में बिना किसी चीज में वक्त गंवाए, सर्जरी को पूरा किया गया। डॉ मनीषा चक्रवर्ती ने कहा कि अगर शुरूआत में लक्षणों का पता चल जाए और समय पर इलाज मिल जाए तो मरीज की जान को बचाया जा सकता है। इसके बारे में ज्यादातर लोगों को समझ रखनी चाहिए। इस बच्ची को कम उम्र में उचित निदान नहीं मिला। जब उसकी जटिलताओं ने दैनिक दिनचर्या को प्रभावित करना शुरू कर दिया, तब जाकर परिजन अस्पताल पहुंचे।
    वहीं इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के बाल रोग सर्जरी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ राजेश शर्मा ने बताया कि बच्ची की पोस्ट-ऑपरेटिव अवधि असमान थी, उसे 27 जुलाई को छुट्टी दे दी गई थी। डेढ़ महीने के बाद फॉलो-अप के दौरान वह स्वस्थ मिली। अभी कुछ वजन बढ़ गया है और वह अपनी दिनचर्या का पालन करने के लिए तैयार है।

डॉक्टरों के अनुसार, जन्मजात हृदय रोगों की घटना के लिए कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं, जैसे रासायनिक जोखिम, आनुवंशिक सिंड्रोम और गर्भावस्था के दौरान संक्रमण, मां द्वारा दवाओं का अनियंत्रित उपयोग इत्यादि। साथ ही, किसी भी बीमारी के लिए कोई लक्षण, यहां तक कि वजन बढ़ाने में कमी और बार-बार छाती में संक्रमण भी कारक हैं। ऐसे में जरूरी है कि माता पिता समय रहते चिकित्सीय परामर्श प्राप्त करें। जन्मजात हृदय रोग सभी जीवित जन्मों का लगभग 0.8% और शिशु मृत्यु दर का 10% जन्मजात हृदय रोगों के लिए जिम्मेदार होता है। किसी देश की स्वास्थ्य स्थिति तय करने के लिए शिशु मृत्यु दर को सबसे महत्वपूर्ण मानदंड माना जाता है। इस बीमारी का भविष्य बहुत अच्छा है और समय पर ऑपरेशन करने पर बच्चों का जीवन सामान्य होता है। समय पर किए जाने पर किसी अच्छे हृदय केंद्र में सर्जरी की मृत्यु दर 1% से अधिक नहीं होती है। अन्य स्रोतों से वित्तीय मदद का विकल्प चुना जा सकता है लेकिन किसी भी दोष को दवाओं से ही बंद किया जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *