गुरु वह व्यक्ति है, जो जीवन जीने पर गुर सिखाता है, हमारे अंदर का गुरूर निकालकर हमें विनम्र बनाता है, अपने ज्ञान से हमें सहज सरल निर्मल पावन बनाता है, अंधेरे से उजाले की ओर ले जाता है, अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाता है, गुरु वह सीढ़ी है, जो भगवान तक पहुंचने में हमारी मदद करती है, गुरु वह हर व्यक्ति है, जो हमें सद्गुणों की शिक्षा देता है, इसलिए हमारी भारतीय संस्कृति में गुरु को भगवान से ऊपर का दर्जा दिया गया है।
‘गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय।
बलिहारी गुरु आपने, जिन गोविंद दियो मिलाय।।’
सबसे पहले गुरु मां है, पिता है स्कूल में अध्यापक, समाज में बड़े बुजुर्ग, नौकरी में हमारा बॉस व्यापार में हमारा उस्ताद, क्योंकि कोई भी काम बिना गुरु की मदद के हम नहीं सीख सकते, इसलिए कदम कदम पर कुछ नया करने के लिए, इस जीवन को पृथ्वी पर सार्थक करने के लिए, हमें गुरु की आवश्यकता पड़ती है।
गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा !
गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः !!
गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा !
गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नम: !!
जहां शिष्यों के लिए जरूरी है, अपने गुरुओं का पूर्ण रूप से आदर सम्मान करें, वहीं गुरुओं का भी कर्तव्य है कि, वह अपने शिष्यों को बिना किसी भेदभाव के अच्छी से अच्छी शिक्षा प्रदान करें, हमारा इतिहास गवाह है, शिष्यों में अपनी योग्यता और प्रतिभा के दम पर अपने गुरुओं का नाम इतिहास में अमर कर दिया, वर्तमान समय में हमें ऐसे गुरुओं और ऐसे शिष्यों की आवश्यकता है।
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर सभी गुरुओं के चरणों में वंदन करता हूं, उन्हें प्रणाम करता हूं।
बिना गुरु के कभी मान नहीं मिलता !
बिना गुरु के कभी सम्मान नहीं मिलता !!
मानों चाहें ना मानों लेकिन यह सच है !
बिना गुरु के कभी भगवान नहीं मिलता !!