खिरका जगतपुर मे बड़ी मुश्किल: टूटे रास्ते, गन्दगी बेशुमार, थमा विकास, सीएम से शिकायत

बरेली/फतेहगंज पश्चिमी। ब्लॉक के गांव खिरका जगतपुर मे प्रवेश करते ही यहां की बदहाली का नजारा दिखाई देता है। रास्तो मे बेशुमार गड्ढे ही गड्ढे है। डामर उखड़ गई और कंकर पत्थर हर तरफ बिखरे हुए है। पॉलीथिन और कचरा भी बेतरतीब फैला हुआ है। गांव के जागरूक युवा सचिन शर्मा बोले-हमने तो इन सब समस्याओं की बाबत मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत भी दर्ज कराई है। डबल इंजनों की भाजपा सरकार में भी ब्लाॅक मुख्यालय से बमुश्किल डेढ़ किमी दूर स्थित भाजपाइयों के बाहुल्य वाली ग्राम पंचायत खिरका जगतपुर में तमाम सरकारी दावों-वादों के उलट आज भी विकास के पहियों पर ब्रेक ही लगे हैं। यह पूरी ग्राम पंचायत विकास की चमक-दमक से कोसों दूर है। विधायक डाॅ. डीसी वर्मा अपनी हर मीटिंग मे अपने सात साल के कार्यकाल मे कराए गए विकास कार्यों का ढोल पीटते कभी थकते नही है लेकिन गांव के सचिन शर्मा, नत्थूलाल गंगवार, रिंकू गंगवार, कवि-पत्रकार गणेश पथिक, धनंजय गंगवार आदि ग्रामवासियों के बार-बार याद दिलवाने के बावजूद उन्होंने हाईवे से सीएचसी और खिरका जगतपुर तथा खरगपुर, सतुइया खास, पटवइया, कुरतरा, बकैनिया चंपतपुर आदि गांवों और सदियों पुराने धार्मिक स्थल बाबा लक्ष्मणजती मढ़ी को जोड़ने वाले सिर्फ डेढ़ किमी लंबे वर्षों से खस्ताहाल पड़े पीडब्ल्यूडी रोड का जीर्णोद्धार कराने की सुध नही ली है। हाईवे पर गौंटिया पेट्रोल पंप से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र होते हुए खिरका और आगे जगतपुर और सतुइया खास रेलवे फाटक तक वर्षों से पैचवर्क तक नही होने से इस सड़क पर हर कदम पर छह इंच तक गहरे बेशुमार गड्ढे ही गड्ढे है। यहां यह भी बताना जरूरी है कि टोल टैक्स बचाने के चक्कर मे अक्सर कारें और अन्य भारी वाहन के निकलने से खिरका गांव की सड़क पूरी तरह उधड़ चुकी है। पुलिया के पास और हरिशंकर कश्यप की परचूनी दुकान के सामने इस सड़क के गहरे गड्ढों में अक्सर कारें फंस जाती है। गांव वाले बताते हैं, बरसात के सीजन में खिरका जगतपुर गांवों को बाढ़ की त्रासदी से बचाने वाली छह महीने से टूटी पड़ी पुलिया न तो विधायक और न ही ग्राम प्रधान को दिख रही है। सिर्फ इतना ही नही, सीएचसी के सामने स्थित श्मशान भूमि भी घूरे के ढेरों, ऊंची घास और कूड़े-कचरे से पटी पड़ी है और ग्राम प्रधान और विकास-पंचायतीराज विभाग की वर्षों से अनदेखी कर रही है। प्राचीन सिंघइया तालाब को लाखों रुपये खर्च करके अमृत सरोवर का नाम तो बेशक दे दिया गया लेकिन पंपिंग सेट चलवाकर पानी नहीं भरवाने की वजह से जाड़े के मौसम मे भी कथित अमृत सरोवर लगभग सूखा ही पड़ा है। सफाई व्यवस्था भी चौपट है। पहले दो सफाई कर्मचारी थे। अब तीन गांवों पर एक ही रह गया है। महीनों तक सफाई नही होने से खिरका, जगतपुर काशीराम, खरगपुर और हाईवे किनारे की बस्ती की सभी नालियां अक्सर कूड़े-कचरे और ऊंची-ऊंची घास से पटी ही रहती है। ग्राम प्रधान जितेंद्र गंगवार का पक्ष जानने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने प्रतिक्रिया देने के बजाय चुप्पी साधे रहना ही बेहतर समझा। उधर, विधायक डाॅ. डीसी वर्मा ने हर बार की तरह सड़क निर्माण समेत तमाम विकास कार्य जल्द करवाने का वायदा एक बार फिर दोहरा दिया है।

टूटी है माॅडल स्कूल खिरका की बाउंड्रीवाल भी

माॅडल स्कूल घोषित हो चुके प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालय खिरका शैक्षिक स्तर और खेलकूद आदि के मामले में भले ही ब्लाॅक और जिलास्तर पर बार-बार अपना डंका बजबाते रहे हों लेकिन भद्दा सच यही है कि विद्यालय की चहारदीवारी टूटी पड़ी है। टूटी चहारदीवारी से बच्चे अंदर घुसकर क्रिकेट खेलते और हुड़दंग मचाते रहते है। आवारा कुत्ते भी गंदगी फैलाते रहते हैं। स्कूल की दीवार से सटाकर ग्रामीणों ने झोपड़ियां डाल रखी हैं और मवेशी भी आम रास्ते पर ही बांधते है।।

बरेली से कपिल यादव

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