बरेली। अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम रवि दिवाकर ने तीन बच्चों की मां से दुष्कर्म के आरोपी को बरी करते हुए विवेचक और सीओ की भूमिका पर सवाल उठाए है। कोर्ट ने कहा है कि न्यायालय मूक दर्शक नही रह सकता। विवेचक को जो मामला एफआर के जरिये खत्म करना था। उसमे बनावटी चार्जशीट लगा दी। इससे साफ होता है कि थानाध्यक्ष प्रेमनगर, विवेचक और सीओ ने अधिकारों का घोर दुरुपयोग किया है। थाना प्रेमनगर क्षेत्र के एक मोहल्ले की महिला ने साल 2019 में कर्मचारी नगर निवासी शिवम शर्मा पर शादी का झांसा देकर तीन साल तक दुष्कर्म करने का आरोप लगाते हुए रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने विवेचना के बाद चार्जशीट दाखिल कर दी। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद शिवम शर्मा को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि बिना सहमति के तीन साल तक दुष्कर्म नहीं किया जा सकता। महिला पहले से शादीशुदा और तीन बच्चों की मां थी तो उसे शादी का झांसा भी नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि महिला के बयान से भी स्पष्ट होता है कि शारीरिक संबंध बनाने में उसकी सहमति थी। महिला ने पति से तलाक का मुकदमा कर रखा है। इससे स्पष्ट होता है कि वह शिवम से शादी करना चाहती थी। कोर्ट ने कहा कि मामला दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं बल्कि सहमति से संबंधों की श्रेणी में आता है। कोर्ट ने चार्जशीट लगाने को लेकर एसएसपी को भी आदेश दिया है कि तत्कालीन सीओ, इंस्पेक्टर और विवेचक के खिलाफ कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने कहा है कि विवेचक का काम सत्य खोजना है न कि असत्य मामले में किसी को फंसाना। एसएसपी से अपेक्षा की जाती है कि वह भारतीय दंड संहिता की 1860 की धारा 219 के तहत संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करें।।
बरेली से कपिल यादव