बरेली। जीवन में पिया तेरा साथ रहे की कामना और पति के लंबी उम्र के लिए बुधवार को विवाहित महिलाएं निर्जला व्रत रखेंगी। व्रत शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पूरा होता है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर एक नवंबर को करवा चौथ का व्रत और पूजन होगा। करवा चौथ के दिन पार्वती, शिव, गणेश, कार्तिकेय और चंद्रमा की पूजा की जाती है। सुहाग के जोड़े में सजी महिलाएं मंदिरों में भगवान शंकर, मां पार्वती और गणेश का पूजन अर्चन करने के साथ ही चंद्रमा का दर्शन कर व्रत तोड़ेंगी। चंद्रदर्शन के साथ ही पति के चांद रूपी मुखड़े का दर्शन कर पूजन अर्चन करेंगी। पति के मंगलमय जीवन के लिए महिलाएं पूरे दिन व्रत की तैयारियों में जुटी रहीं। पर्व की चल रही तैयारी मंगलवार को पूरी होगी। बाजार मे महिलाओं की सर्वाधिक भीड़ दिखी। पार्लरों में खासकर महिलाओं का रेला लगा रहा। कोई अपने मेकअप के लिए ब्यूटी पार्लरों में लाइन लगाये खड़ी मिली तो कोई साज-सज्जा के लिए चुड़ी, कंगन आदि खरीदती नजर आई। साड़ी, कपड़ों, आभूषण आदि की दुकान पर भी भीड़ देखते बन रही थी। किवदंतियों के अनुसार एक राजकुमारी ने अपने पीहर में इसी दिन उपवास किया था। उपवास पूर्ण होने पर उसे पता चला कि उसके मांग का सिंदूर उजड़ गया है। उसके पति की मौत सर्पदंश से हो गई थी। रोती बिलखती राजकुमारी ससुराल के लिए रवाना हुई। इस बीच रास्ते से गुजर रहे भगवान शंकर और मां पार्वती ने उसे बिलखता देख अपने पास बुलाकर रोने का कारण पूछा। विधवा ने आपबीती सुनाई। उसके पति प्रेम को देखकर भाव विह्वल हुई मां पार्वती ने अपनी अंगुली को चीरकर रक्त दिया। देवी मां के कहने पर उस रक्त को अपनी मृत पति के ऊपर छिड़क दिया। इससे उसका पति जीवित हो उठा। इसी मान्यता के तहत विवाहित महिलाएं बुधवार को करवाचौथ का निर्जला व्रत रखेंगी। चंद्रदेव को अर्घ्य अर्पित कर गणेश की पूजा के साथ ही व्रत का विधान पूर्ण होगा। ज्योतिषविद पं. रमाकांत दीक्षित ने बताया कि कार्तिक कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर को रात 9:31 बजे शुरू होगी और एक नवंबर को रात 9:20 बजे तक रहेगी। चंद्रोदय रात 8:05 बजे होगा। बताया कि पूजा में सोना, चांदी का करवा होना चाहिए। लोहा और एल्यूमीनियम या अन्य किसी धातु के करवा का प्रयोग उचित नही होता। इस पर्व पर जन्मतिथि के अनुसार परिधान के रंगों का चयन शुभकारी होता है।।
बरेली से कपिल यादव