बरेली। जिले मे बढ़ते कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए सरकार लगातार सख्त कदम उठा रही है। कोरोना की चेन तोडने के लिए तीन दिन का लॉकडाउन बढ़ाकर सरकार ने अब पांच दिन का कर दिया। बढ़ते संक्रमण और सरकार की सख्ती के साथ ही प्राइवेट अस्पताल वालों की मनमानी के साथ ही वहां दलालो की सतर्कता भी बढ़ती जा रही है। कुछ लोगों को अपने रसूख के दम और पैसे के बल पर अस्पतालों में सुविधाएं मिल पा रही है लेकिन आम आदमी की जिंदगी सरकार की नीतियों की तरह होकर रह गई है। अस्पताल मे बेड मिला तो सही नही तो सांसे थमने के बाद श्मशान तो है ही। दलाल भी आम आदमी को ही ज्यादा अपना निशाना बना रहे है क्योंकि ठगे जाने के बाद भी उसकी आवाज सरकारी अफसरों तक नहीं पहुंच पाती है। यही वजह है कि अस्पताल में तीमारदारों के पहनावे और बातचीत के अनुमान लगाकर ही आगे की बातचीत की जा रही है। आम आदमी और गरीब को ऑक्सीजन लेवल पूछकर लौटा दिया जा रहा है। जिले में कोरोना संक्रमण बढने के साथ ही अस्पतालों में बैड, वैंटिलेटर और आईसीयू मिलना बेहद मुश्किल हो गया है। हालत ये है कि किसी भी कोविड हॉस्पिटल में बेड खाली नही है। वैंटिलेटर और आईसीयू की सुविधा भूल ही जाएं। सोमवार की सुबह विनायक हॉस्पिटल मे सब कुछ समान्य दिखा। इस दौरान एक युवक रिसेप्शन पर पहुंचा। युवक ने रिसेप्शन पर बैठी एक महिला से अग्रेजी में संवाद कर बैड की डिमांड की। जिसके बाद महिला ने वहां मौजूद पीएनटी से अपने किसी अधिकारी को फोन पर बातचीत करने के बाद युवक को एक कमरे की ओर इशारा करके भेज दिया। इसी बीच एक युवक वहां और पहुंचा जो दिखने मे गरीब और मध्य परिवार का लग रहा था। बैड की रिमांड पर रिसेप्शनिस्ट ने उससे ऑक्सीजन लेवल के बारे में पूछा और बेड न होने की बात करके लौटा दिया। यही हाल मिशन अस्पताल का दिखाई दिया। मिशन अस्पताल में तो बैड की डिमांड करते ही वहां मौजूद सभी कर्मचारियों की गर्दन न मे हिलने लगती है। मानों जैसे साहब ने बैड का नाम आते ही गर्दन दाई ओर बाई ओर हिलाने का फरमान जारी कर रखा हो। अस्पतालों में बैड को लेकर धंधेबाजी चल रही है। दलाल खूब चांदी काट रहे हैं। जिसमें कुछ अस्पतालों का स्टाफ भी शामिल है। अस्पतालों की ओर से बैड खाली होने की सूचना स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन तक नहीं पहुंच पा रही है। कुछ दिनों पहले अस्पतालों में बैड की स्थिति ऑनलाइन करने की कोशिश शुरु हुई थी। जो शुरुआत में ही धड़ाम हो गई। क्योंकि अस्पतालों में ऑनलाइन बैड की सूचना हर घंटे अपलोड करना थी। इसके तहत अस्पताल संचालक मौजूदा बैड की स्थिति सीएमओ ऑफिस में देगा। यह सूचना फिर एनआईसी बरेली को दी जानी थी। जिसके बाद यह ऑनलाइन अपडेट हो पाती। लेकिन इतनी लंबी प्रक्रिया होने की वजह से यह प्रयास असफल रहा। प्राइवेट अस्पताल वालों को इन दिनों हो रही धाधलीबाजी की पोल खुलने का डर बना हुआ है। यही वजह है कि अस्पतालों मे कैमरे का खौफ साफ-साफ दिखाई दे रहा है। कई कोविड अस्पतालों में तो मरीजों के साथ ही तीमारदारों को अस्पताल में फोन इस्तेमाल करने पर पूरी तरह से रोक लगा रखी है। अगर कोई फोन चलाता मिल रहा है। तो उसका फोन छीनकर चेक किया जा रहा है।।
बरेली से कपिल यादव