उत्तराखंड – बद्रीनाथ धार्मिक रीति रिवाज़ों और बद्रीविशाल की जयकारों के साथ बदरीनाथ के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खुल गए हैं। अब अगले छह माह भगवान बद्रीविशाल के साथ कुबेर व उद्धव पूजे जाएंगे। साथ ही भगवती लक्ष्मी मुख्य मंदिर से परिक्रमा में अपने मंदिर में विराजमान हुई। इससे पहले शीतकाल में भगवती लक्ष्मी भगवान बद्रीविशाल के साथ विराजमान थी।
आपको बता दें कि प्रातः मंदिर मुख्य सिंह द्वार को फूल मालाओं से भव्य रूप से सजाया गया था। सुबह साढ़े तीन बजे बदरीनाथ के दक्षिण द्वार से भगवान कुबेर की डोली के साथ बामणी गांव के वृतिदारों ने परिक्रमा परिसर में प्रवेश किया। इसके बाद वीआईपी गेट से रावल और डिमरी पुजारी ने भगवान उद्धव के साथ परिक्रमा में प्रवेश किया। तदोपरांत मुख्य द्वार पर रावल और धर्माधिकारी, वेदपाठी के द्वारा पूजन किया गया। पूजन के बाद साढ़े चार बजे भगवान बद्रीविशाल के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिये गए।कपाट खुलने के साथ ही भगवान बद्रीविशाल की पंचायत में खजांची कुबेर भंडारी और भगवान उद्धव विराजमान हुए।
कपाट खुलने से पहले रात 12 बजे से श्रद्धालु लाइनों में लगे रहे। वहीं सुबह कपाट खुलने के बाद दर्शनों की लाइनों में बद्रीविशाल की जयकारो से पूरा माहौल नारायणमयी हो गया। आस्था और विश्वास की इन दर्शन लाइनों में श्रद्धालु रात से डटे रहे। वहीं लंबी कतारों में श्रद्धालु तुलसी की माला से सजी थालियों के साथ मंदिर की ओर आगे बढ़ते रहे। इस दौरान बामणी और माणा की महिलाओं ने दांकुड़ी नृत्य किया। भगवान बद्रीविशाल के कपाट खुलने के साथ सिंहद्वार पर महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य किया।
-पौड़ी से इन्द्रजीत सिंह असवाल की रिपोर्ट