उत्तराखंड : जनपद पाैडी गढ़वाल के रिखणीखाल प्रखंड के सीमांत गुमनामी के अंधेरों में जीता एक क्षेत्र आज तक भी सूचना प्रोद्योगिकी व डिजिटल इंडिया के युग में सूचना क्रांति के युग में भी दुनियादारी से कट ही रहा है । पट्टी पैनों की दो पट्टियों के लगभग साठ गांव व बूंगी नैनीडांडा के पचास गांवों को इस लगे टावर से लाभान्वत होना था मगर दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि स्थापित होने के बाद भी इसे चालू करने की जहमत विभाग नहीं उठा रहा है । सतगरिया सिद्धखाल में अवस्थित टॉवर को तीन वर्ष पूर्व यद्यपि स्थापित कर दिया गया लेकिन अफसोस केवल संचार से वंचित लोगों को खुद से है । लगभग मुख्य संपर्क मार्गों से दस बारह किमी दूर अवस्थित इन गांवों में लोगों ने जो आस विकास के सपने देखे वो अब होंठों पर सिहर कर उठ रहे हैं । इसे नियति का रोना कहें या क्षेत्र का दुर्भाग्य। गौरतलब है कि इससे लाभान्वित होने वाले डेढ़ सौ गांवों की श्रेणी में तोल्यूडांडा द्वारी ,क्वीराली ,सतगरिया ,जुई ,रौंदेड़ी,सौंपखाल ,तैड़िया ,डाळापाख, उपगांव आदि वन ल़से घिरे व बीहड़ क्षेत्र थे मगर शायद गांवों में शेष बच गये लोगों की सरकार /शासन व प्रतिनिधियों को जरूरत महसूस नहीं ।आलम यह है कि बीमारी में पिनस का सहारा मीलों की दूरी तय कराता है कई बार स्थानीय चंदन सिंह नेगी द्वारा सरकार से पत्राचार भी किया मगर मामले पर कोई कार्रवाई न हुयी ।अब इसे विभाग की लापरवाही कहें या हमारा दुर्भाग्य या जन प्रतिनिधियों की सुस्त चाल ।यह यक्षप्रश्न जो मुंह बांये खड़ा है…??
साभार : डॉ.ए.पी.ध्यानी तैड़िया
– पौड़ी से इंद्रजीत सिंह असवाल