आधुनिकता की दौड़ में अपने कर्तव्यों का निर्वाह इमानदारी से करने वाले आजकल हैं कम : राजू चारण

राजस्थान- अपने घर परिवार से ही मानवता, इमानदारी और सेवा भावना की शुरूआत होती है और आजकल आधुनिकता के चक्कर में कार्य के प्रति जानबूझकर लापरवाही बरतने वाले आपके आसपास मौजूद है इसलिए आपको इनकी हौसला अफ़ज़ाई करना चाहिए ताकि वे अपने कार्य करने की क्षमता का ज्यादा से ज्यादा लोगों की मूलभूत समस्याओं का समाधान करने के लिए करेंगे और आपके आसपास के क्षेत्रों में विकास की नदियाँ बहाने मे सफल होगें।

इन्सानियत की किताब में कर्तव्य, मर्यादा व सत्य का पूर्ण निष्ठा से पालन करना ईमानदारी कहलाता है। जिस कार्य को उचित प्रकार व पूर्ण निष्ठा एवं सच्चाई से सम्पन्न किया जाए वह करने वाली इन्सान की ईमानदारी कहलाती है। कोई भी कार्य व व्यापार हो या नौकरी अथवा किसी से किया गया वादा या किसी से लिया गया उधार एवं इन्सान के कर्तव्य व मर्यादाएं यदि पूर्ण निष्ठा व सच्चाई से किया जाए तब ही वह ईमानदारी से निभाया गया कर्तव्य कहा जाता है। किसी भी प्रकार का झूठ या कर्तव्य परायणता में अभाव होने से वह ईमानदारी के क्षेत्र में नहीं आता। ईमानदारी के विषय में समझा जाता है कि ईमानदार इन्सान का जीवन चुनोतियों और सैकड़ों कठिनाई से भरा हुआ तथा अभाव पूर्ण निर्वाह होता है जो वास्तव में मिथ्या है।

श्रवण सिंह खींची ने कहां कि ईमानदारी का महत्व व ईमानदारी से होने वाला लाभ एवं ईमानदारी के कारण समाज द्वारा विश्वास तथा सम्मान प्राप्ति इन सब विषयों की समीक्षा करने एवं ईमानदारी की परिभाषा ज्ञात करने के पश्चात ही इन्सान ईमानदारी के प्रति और अधिक जागरूक हो सकता है। ईमानदारी किसी प्रकार का भार नहीं है जिसे उठाने में शक्ति या साहस की आवश्यकता हो या कोई ऐसा बंधन नहीं है जिसका त्याग नहीं किया जा सकता।

साथ ही खींची ने कहा कि ईमानदारी मात्र कुछ नियम हैं जिनको सच्चाई व निष्ठा पूर्ण निभाने से इन्सान ईमानदार बन सकता है तथा समाज में ईमानदारी की छवि प्रस्तुत की जा सकती है जिसके प्रभाव से इन्सान को प्रत्येक समय समाज में सम्मान तथा विश्वास कायम होने के कारण भरपूर सहयोग प्राप्त होता है। समाज व सम्बन्धी एवं मित्रगण किसी भी ईमानदार छवि के इन्सान को सदैव पूर्ण सहयोग देने को तत्पर रहते हैं। ईमानदार इन्सान पर बुरा समय या अभाव उत्पन्न होने पर उसे तन, मन व धन से सहयोग देने वालों की कोई कमी नहीं होती यह ईमानदार होने का लाभ व महत्व है।

इन्सान को जीवन में सर्वप्रथम परिवार के सदस्यों व सम्बन्धियों एवं मित्रों तथा समाज के प्रति कुछ कर्तव्य एवं मर्यादाएं निर्धारित होती हैं। जो इन्सान परिवार के प्रति अपने कर्तव्य पूर्ण निष्ठा से निभाता है उसकों परिवार भी पूर्ण सम्मान प्रदान करता है। सम्बन्धों एवं समाज के प्रति सजगता एवं मर्यादा से तथा व्यवहारिक इन्सान सभी स्थानों पर सम्मान प्राप्त करता है यह एक ईमानदार व कर्तव्य निष्ठ होने का पुरस्कार होता है। जो इन्सान परिवार, सम्बन्धों व समाज की परवाह न करते हुए ,यदि कोई इन्सान परिवार या सम्बन्धों की कर्तव्य परायणता में असमर्थ रहता है परन्तु पूर्ण प्रयास अवश्य करता है उसे बेईमान नहीं मजबूर तथा असहाय समझा जाता है क्योंकि इन्सान परिस्थितियों के आगे सदैव विवश होता है और विवशता बेईमानी नहीं होती।

जीविका उपार्जन के लिए जो इन्सान व्यापार करते हैं उनके लिए ईमानदारी की छवि होना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि ईमानदारी से किया गया व्यापार भविष्य के लिए सुदृढ़ होता है। समाज ईमानदार व्यापारी से ही खरीददारी करना पसंद करता है इसलिए ईमानदारी से किया गया व्यापार सफलता का सबसे बड़ा प्रमाण पत्र होता है।

युवा पीढ़ी के बजरंग गौड़ ने कहां कि सेवा कार्य अर्थात नौकरी करने वाले इन्सान का ईमानदार होना उसकी सफल नौकरी का प्रमाण पत्र होता है क्योंकि ईमानदार कर्मचारी किसी भी संस्थान अथवा निजी मालिक को अतिप्रिय होता है। नौकरी में ईमानदारी का अर्थ है समय पर पहुंचकर अपने सभी कार्य पूर्ण निष्ठा के साथ करना जो कर्मठ व ईमानदार कर्मचारी के लिए सरल कार्य होता है। जो कर्मचारी देर से पहुंचते हैं तथा कार्य करने में आनाकानी या बहाने बाजी करते हैं अथवा समय बर्बाद करते हैं उन्हें कभी ईमानदार कर्मचारी नहीं कहा जा सकता। कार्य सम्पन्न करने के पश्चात विश्राम करने वाला कर्मचारी ईमानदार होता है परन्तु कार्य से पूर्व विश्राम करने वाला बेईमान कहलाता है।

गौड़ ने कहा कि वादा निभाना ईमानदारी होती है यदि किसी प्रकार का विघ्न या परेशानी उत्पन्न हो जाए तो लाचारी के प्रति अवगत करवाकर वादा पूर्ण ना करने की क्षमा मांगने वाला बेईमान नहीं लाचार कहलाता है। जो इन्सान वादा पूर्ण करने में सक्षम होकर भी निभाने में आनाकानी या मना करते हैं उन्हें ईमानदार नहीं समझा जा सकता वो सिर्फ आधुनिक युग में उधार लेकर जीवन जीने जैसा लगता है।

– राजस्थान से राजूचारण

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