अशोकजी अब तो विस्तार हो गया है हमें कृषि भूमि के जिन्न से निजात दिलाओगे ….

बाड़मेर/राजस्थान- बाड़मेर जिला मुख्यालय पर कृषि भूमि पर खातेदारों ने अपनी भूमि को इकरारनामो पर बेचकर लाखों रुपए वसूले लेकिन सरकारी खजाने को भरने वाले राजस्व विभाग को करोड़ों रुपए की चंपत लगाने के बाद, शहरीक्षेत्र के नजदीक दानजी की होदी क्षेत्र के पटवारी हल्का बाड़मेर शहर मे तो ओर भी बुरा हाल है। खातेदारों द्वारा बारिश के दौरान फसलों को बोने के स्थान पर सरकारी रिकॉर्ड में कृषि भूमि पर ग्रेवल रोड, डामरीकरण सड़कों, नगर परिषद द्वारा रोड लाइटें, बिजली पानी की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के बावजूद भी आवासीय क्षेत्र को आज भी कृषि भूमि के नाम पर राजस्व विभाग में दर्ज है।

नगरपरिषद क्षेत्र में हर साल नई नई कॉलोनियों कृषि भूमियों पर बस रही है। लेकिन इन कॉलोनियों में ज्यादातर इकरारनामों के रूप में स्टाम्प पेपर पर प्लॉट खरीदने वालों को यह कितना महंगा पड़ेगा, कृषि भूमि धारक या फिर कॉलोनाइजर खरीददारों को इसकी जानकारी तक नहीं देते हैं। नियमों की जानकारी नहीं होने के कारण खरीदारों को भूखंड पर मिलने वाली बिजली-पानी व सीवरेज समेत अन्य सुविधाओं के लिए बार-बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं। वहीं खातेदारों ने भी राज्य सरकार के राजस्व की भारी भरकम राशि को सरकारी दफ्तरों में जमा कराने के बजाय अपनी जेब में डालकर हजम कर रहे हैं।

कृषि भूमि खातेदारों की ओर से जनता के साथ की जा रही धोखाधड़ी और सरकार को हो रहे करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान को लेकर हाल ही में नया नियम लागू किया गया है। जिसके तहत नगर निकाय किसी भी भूमि के लिए 90ए की कार्रवाई मास्टर प्लान के अनुसार ही कर सकेगी। किसी भी शहरी क्षेत्र में कृषि भूमि पर बिना 90ए के भूखंड नहीं बेचे जा सकते हैं। इसकी जिम्मेदारी सम्बंधित नगरपरिषद या नगरपालिकाओं की रहेगी।

कोई भी खातेदार कृषि भूमि पर प्लॉटिंग करता है तो इसके लिए उसे उस भूमि में सड़क, सीवरेज, बिजली व पानी समेत अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का नियम है। ऐसा नहीं होने तक उस कृषि भूमि का 12.5 प्रतिशत हिस्सा नगर निकायों के अधीन रहता है। कृषि भूमि में सारी सुविधाएं मुहैया कराने के बाद इंजिनियर इसका सर्टिफिकेट जारी करता है और उसके बाद निकाय इस 12.5 प्रतिशत हिस्से को रिलीज करती है।

कृषि भूमि पर बने अधिकांश भवनों का निर्माण भी नियमानुसार नहीं होने से इसका खामयिाजा कालोनी वासियों को भुगतना पड़ रहा है। यहां शौचालय और पानी की निकासी के लिए नालियां तक नहीं हैं। वहीं बरसाती पानी को सहेजने और पार्किंग जैसी मूलभूत सुविधा भी नहीं है। शहर में कृषि भूमि पर बसी कॉलोनियां आज भी विकास को तरस रही हैं। खातेदारों द्वारा कॉलोनी बसाने के दौरान तय मापदंडों का पालन नहीं करने से अधिकांश कॉलोनियों में आज भी मूलभूत सुविधाओं की कमी है। जिससे यहां रहने वाले लोग विभागों के रोजाना चक्कर काट रहे हैं।

इन्द्रा कालोनी के पूर्व पार्षद बलवीर माली ने बताया कि शहरी क्षेत्रों के आसपास बसें हुए हजारों लोगों ने आबादी क्षेत्र से जुडे हुए और दानजी की होदी क्षेत्र की कृषि भूमि में बसे हुए सेकड़ों परिवारों की कोलानियों को नगर परिषद में शामिल कर राज्य सरकार द्वारा जारी मूलभूत सुविधाए उपलब्ध करानें की मागे नगर परिषद का विस्तार कर विधायक मेवा राम जैन ने सौगात दी है लेकिन राजस्व रिकॉर्ड में कृषि भूमि दर्ज होने के कारण आज भी लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है l

पटवारी हल्का बाड़मेर शहर के दानजी की होदी क्षेत्र में आई हुई मूल कृषि भूमि के खसरा नम्बर 1296 के, 3519/1296, 3520/1296 ओर पिछले साल ही नगर परिषद में शामिल किया गया कृषि भूमि खसरों में से खसरा नम्बर 3521/1296 को शामिल करने के साथ ही दो खबरों को छोड़ दिया गया था जिन्हें पूर्व में वरिष्ठ नगर नियोजक, नगर नियोजन विभाग जोधपुर द्वारा पत्र क्रमांक /जेडीजेड /1628/पीडब्लूआर/2034/दिनांक 02.11.2012 के तहत सम्पूर्ण रुप से आवासीय भूमि प्रयोजनार्थ आरक्षित किया गया था l

कृषि भूमि पर बसें हुए कालोनी निवासियों ने बताया कि वरिष्ठ नगर नियोजक द्वारा उपरोक्त कृषि भूमि के खसरों को आवासीय भूमि प्रयोजनाथ इसलिए आरक्षित किया गया है क्योकि इस क्षेत्र में तीन चार दशकों से सेकड़ों परिवार मकान बनाकर आवास करते आ रहे है। इतना ही नहीं बाड़मेर शहर की मूल आबादी से जुड़ता हुआ यह क्षेत्र दानजी के हौदी और कलाकार कालोनी है जो पूर्ण रुप से स्थापित हो गया है। यथा विदासर,इन्द्रा कोलोनी, कलाकार कोलोनी, श्रीयादे नगर, कोजोणियों की ढाणी, उम्मे, के नाम से विख्यात है। कई कोलोनियों में पिछले दो तीन दशक से ग्रेवल संड़को , डामर सड़कों, नालियों का निर्माण, सभी क्षेत्रों में पानी की पाईप लाईने,बिजली कनैक्शन, सम्पूर्ण इलाके में रोड़ लाईटे नगर परिषद बाड़मेर द्वारा लगाईं जा चूकी है। उक्त कोलोनियों की जमी खसरों के कृषि भूमि दर्ज है जो कृषि भूमि के खातेदारों द्वारा 1986 से नक्शा वगैरह बनाकर के लोगों को विक्रय कर अपने हिसाब से कालोनियां बसाई गई है।

कालोनी क्षेत्र के लोगों के अनुसार शहरी क्षेत्रों के आसपास अधिकतर इकरारनामों से भूमि बेच देने के बाद भी कई खातेदारों का जमाबंदी में नाम अंकित होने के बहाने वर्तमान में प्लाट खरीदकर आवास कर रहे,कहाँ कहाँ पर मोहल्ले वासियों को खातेदारों द्वारा झूठी कानूनी कार्यवाही के नाम पर अवैध वसूली के नाम पर परेशान कर रहे है ऐसे बोगस खातेदारों से निजात दिलाने का आग्रह पूर्वक निवेदन है।

कालोनी निवासियों ने बताया कि विगत अनेक वर्षो से बसी हुई उक्त कोलोनियों को नगर परिषद द्वारा रोड़ लाइट्स, नालियों और सडको,का निर्माण किया गया है और सैकड़ों परिवारों की पट्टे लेने की पत्रावलिया नगर परिषद में जमा है और न हीं यहां बसे लोगों के मकानों का नियमन हो पाया है l इन परिस्थतियों में राज्य सरकार द्वारा जन कल्याणकारी योजनाओं के रुप में जिला प्रशासन से अपेक्षा है कि उपरोक्त सभी कोलोनियों में बसे हुए लोगों का राजस्व कर्मचारियों यथा भू-अभिलेख निरक्षक, पटवारी, तहसीलदार द्वारा सम्पूर्ण सर्वे करवाया जावें तथा मौहलेवासियों के आवासों को नियमन योग्य घाषित किया जावें ताकि सम्बन्धित परिवारों द्वारा नगर परिषद से पटटे प्राप्त कर सकें।

– राजस्थान से राजूचारण

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