आजमगढ़- आजमगढ़ के रानी की सराय थाना क्षेत्र में 17 नवम्बर को दलित शिक्षिका के साथ बीजेपी का झंडा लगे स्कॉर्पियो वाहन में हुए सामूहिक दुराचार के मामले में पुलिस ने खुलासा करते हुए कहा कि सीसीटीवी फुटेज व अन्य साक्ष्यों के आधार पर दुराचार हुआ ही नहीं। घटना के छः दिन बाद पुलिस के खुलासे को लेकर जैसे ही गाँव में जानकारी हुई भारी संख्या में ग्रामीणों ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय का घेराव कर दिया। लोगों ने पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए खुलासे पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया। भीड़ को देखते ही पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में ले लिया। जब पत्रकारों ने मामले में पीड़िता की चाची से बात की तो मामला पुलिस बयान के उलट आया उनका कहना है कि पुलिस पीड़िता को थाना पर देर रात तक अपने पास रखकर दबाव बनाया और उससे इस तरह का बयान दिलवाया ताकि इस लड़की की बदनाम न हो और उसकी छोटी बहनो के साथ कुछ और घटना न हो जाये। आरोप लगाया कि पुलिस पीड़िता के गाँव के किसी युवक से संबंध की झूठी कहानी रच रही है। वहीं पीड़िता की माँ ने भी दुष्कर्म की बात करते हुए खुद के परेशान होने की बात कही। घटना के बाद अपने पहले बयान में पीड़िता ने बोला था कि पुलिस उसकी सुन नही रही है प्राथमिकी नही दर्ज कर रही और अंत मे पुलिस ने मामले की प्राथमिकी तीन दिन बाद दर्ज किया और मेडिकल करवाया। पीड़िता ने दुराचारियो के न पकड़े जाने पर आत्महत्या की बात भी बोली थी। वही आज पुलिस संरक्षण में महिला थाने पर ये बयान दिया कि उसके साथ कुछ हुआ नही था। इस पूरे मामले ने घटना के बारे में अपर पुलिस अधीक्षक कमलेश बहादुर ने प्रेस कांफ्रेंस कर के बताया कि पीड़िता की शादी मूक बघिर और विकलांग से हुई है जिसके पास लड़की जाना नही चाहती थी इसलिए इसने ये स्वांग रचा। अपर पुलिस अधीक्षक के अनुसार लड़की ने स्वयं को सड़क पर नग्न कर सामुहिक दुराचार का आरोप लगाया।
रिपोर्ट-:राकेश वर्मा आजमगढ़