उत्तराखंड : नैनीताल के हैड़ाखान क्षेत्र में करीब रोज 70 छात्र छात्राएं रोज नदी को पार करके शिक्षा पाने को स्कूल जाते हैं ।बरसात के तेज बहाव ,सर्दियों के दिन उनकी जान तक को बन आती है ।जरा सोचें क्या हालत होती होगी बच्चों की जो भीगे हुए क्लास में बैठते होंगे कैसे पड़ते होंगे ,लड़कियों के लिए कितना शर्मनाक होता होगा ।लेकिन इन बच्चों और करीब 1200 लोगों पर सरकार को तरस कहाँ?
उनकी मजबूरी हॉस्पिटल बाजार और अन्य दुख तकलीफ में ऐसे ही जाना आना होता है।ये सिलसिला बदस्तूर जारी है।कितने ही आंदोलन कर दिए सरकार को प्रोपोजल तक जा चुके हैं।लेकिन ढाक के तीन पात।
इनके दुख तकलीफ को देख उत्तराखंड मॉनवधिकार आयोग में मेरे द्वारा वाद दायर किया गया ,आयोग द्वारा जिलाधिकारी को नोटिस भेजे और अग्रिम कार्यवाही को पीडव्लूडी , शिक्षा अधिकारी , जिला विकास अधिकारी को नोटिस जा चुके हैं परन्तु उनके द्वारा कोई कार्यवाही न करने पर आयोग भी सख्त हो गया है और जिलाधिकारी नैनीताल को अपर जिलाधिकारी रैंक के अधिकारी को न्युक्त करने को कहा है।जल्द ही मॉनवधिकार आयोग की मदद से समाधान के आसार एक और जीत की उम्मीद है।
10 मई को नैनीताल क्लब में मानवाधिकार आयोग की अदालत लग रही है वहां अगली सुनवाई है। देखते है कि हालातों में परिवर्तन होता है या फिर बैसा ही रहता है जैसा है।
-पौड़ी से इन्द्रजीत सिंह असवाल की रिपोर्ट