बरेली- आलमे इस्लाम की माया नाज़ शख्सियत,फख़्रे अजहर, नबीर-ए-आला हजरत, अ़ल्लामा मुफ्ती अख्तर रजा खान अज़हरी मियां साहब का आज बरेली शरीफ़ में इंतकाल हो गया है। हजरत सुन्नी समुदाय की मशहूर और मारूफ शख्सियत थे।
तहफ्फूज़े नामूसे रिसालत एक्शन ट्रस्ट के अध्यक्ष मौलाना सैफुल्लाह खां अस्दक़ी ने बताया कि हुज़ूर ताजुश्शरीया ने अरबी, फ़ारसी, उर्दू आदि भाषाओं में दर्जनों किताबें लिखीं हैं। आपने इस्लामी दुनिया के सबसे प्राचीन और बड़े विश्व विद्यालय जामिया अज़हर, क़ाहिरा, मिस्र में तालीम हासिल की थी। आपको बेहतरीन तालीमी रिकॉर्ड के लिए मिस्र के राष्ट्रपति कर्नल अब्दुल नासिर के हाथों फख्रे अज़हर का अवार्ड भी मिला था। आप भारतीय उपमहाद्वीप में अहले सुन्नत व जमाअ़त के बड़े और बुजुर्ग आलिमों में से एक थे। आपको इमाम अहमद रजा फाजिले बरेलवी का इल्मी जानशीन कहा जाता है। आलमे इस्लाम में आपकी प्रसिद्धि का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि जॉर्डन की राजधानी अम्मान के रॉयल स्ट्राजिक सेंटर से हर साल जारी होने वाली दुनिया के 500 प्रभावशाली मुसलमानो की लिस्ट में टॉप 25 मशहूर शख्सियत में शामिल रहे हैं।
मौलाना सैफुल्लाह खां अस्दक़ी ने बताया कि आपके सिर्फ भारतीय उपमहाद्वीप में ही अकीदतमंद नहीं, बल्कि दुनिया के दूसरे देशों में भी आपके सूफी सिलसिले के मुरीद है। आला हजरत फाजिले बरेलवी के इल्मी वारिस की हैसियत से आपको ताजुश्शरिया के नाम से भी जाना और पहचाना जाता है।