सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: वहीं बनेगा राम मंदिर और मस्जिद के लिए दूसरी जगह मिलेगी जमीन

नई दिल्ली- अयोध्या में राम मंदिर व बावरी मस्जिद का विवाद काफी समय से न्यायालय में चल रहा था जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन रामलला विराजमान को दी है और सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के लिए अयोध्या में कहीं भी पांच एकड़ जमीन देने को कहा है। वहीं कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े के सभी दावे खारिजकर दिए है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सुबह 10.30 बजे अपना फैसला सुनाना शुरू किया। सीजेआई ने कहा बाबर के समय मीर बाकी ने मस्जिद बनवाई थी। 1949 में दो मूर्तियां रखी गई थी। बाबरी मस्जिद हिंदू स्ट्रक्चर के ऊपर बनाई गई। यह मस्जिद समतल स्थान पर नहीं बनाई गई।

इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एसआई की खुदाई में 21वीं सदी में मंदिर के साक्ष्य मिले है। सीजेआई ने कहा कि खुदाई के साक्ष्यों को अनदेखा नहीं किया सकता। खुदाई में इस्लामिक ढांचे के सबूत नहीं मिले थे। सीजेआई ने यह भी कहा कि अंग्रेजों के आने से पहले हिंदू वहां राम चबूतरे और सीता रसोई पर पूजा होती रही थी। ऐसे में कोर्ट ने विवादित स्थल का अंदरूनी और बाहरी चबूतरा ट्रस्ट को देने का अदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि एएसाई की खुदाई में जो चीजें मिली हैं उसे हम खारिज नहीं कर सकते हैं। आस्था और विश्वास पर कोई सवाल नहीं है। सीजेआई ने कहा श्रीराम का जन्म अयोध्या में ही हुआ था इसमें कोई शक नहीं है। ऐसे में रामलला को कानूनी मान्यता दी जाती है। 1856 से 57 तक उस स्थान पर हिंदुओं को पूजा करने से रोका नहीं गया था। सदियों से हिंदुओं द्वारा वहां पूजा किए जाना यह साबित करता है कि उनका विश्वास है उस स्थान पर रामलला विराजमान है। यही कारण है कि बाहरी प्रांगण में हिंदू पूजा करते रहे हैं।

सीजेआई ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने इस मामले के तीन हिस्से किए ये तार्किक नहीं है। केंद्र सरकार तीन महीने में मंदिर निर्माण की योजना बनाकर रिपोर्ट प्रस्तुत करे साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को दूसरी जगह जमीन देने का आदेश देते हुए कहा कि मुस्लिम पक्ष को दूसरी जगह 5 एकड़ जमीन दी जाए।

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