उत्तराखंड/पौड़ी गढ़वाल- गैरसैंण में स्थाई राजधानी संघर्ष समिति ने पिछले 100 दिनों से अपना आमरण अनशन जारी रखा है। आंदोलनकारियों बहुत लोकतांत्रिक तरीके से रामलीला मैदान में अपना आंदोलन चला रहे हैं। इतने दिन आंदोलन में कभी किसी प्रकार की न तो अव्यवस्था हई और न ही किसी प्रकार का अतिवाद। लेकिन स्थानीय प्रशासन ने जिस तरह के दमन का रास्ता यहां अपनाया है वह हमारे लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला है। पिछले दिनों स्थानीय प्रशासन ने न केवल आंदोलनकारियों से अभद्रता की, बल्कि उनके साथ मारपीट भी की। अनशन स्थल के दरवाजों को रात में तोड़कर महिलाओं के साथ अभद्रता की। 11 मार्च को जब गैरसैंण राजधानी संघर्ष समिति ने अपनी रैली के बाद उपजिलाधिकारी स्मिता परमार को ज्ञापन सौंपा तो उस समय इस बात को भी उठाया कि वे शांतिपूर्वक बैठे आंदोलनकारियों को वेवजह उत्पीडन कैसे कर सकते हैं।
स्थानीय प्रशासन ने लगता है शायद रैली में आये हजारों लोगों की बात को ज्यादा महत्व नहीं दिया। यही कारण है कि कल फिर प्रशासन ने आंदोलनकारियों का दमन शुरू कर दिया। महिलाओं के साथ अभद्रता की और गाली-गलौज की। हमारे बुजुर्ग श्री खीमसिंह रौथाण जी पिछले 11 दिनों आमरण अनशन में बैठे थे। तहसीलदार दर्शल लाल अपनी पुलिस टीम के साथ वहां पहुंचे। उन्होंने आंदोलनकारियों के साथ अभद्रता करनी शुरू की। उनका यह रवैया पहली बार सामने नहीं आया है। वे पहले भी आंदोलनकारियों के साथ ऐसा की चुके हैं। संघर्ष समिति के अध्यक्ष नारायण सिंह बिष्ट जी ने बताया कि तहसीलदार ने बहुत अमानवीय व्यवहार आंदोलनकारियों के साथ किया। इतने दिनों से आमरण अनशन में बैठे खीमसिंह जी के साथ भी उन्होंने धक्कामुक्की की। जब उनसे ऐसा करने को मना किया तो उन्होंने अपने मजिस्ट्रेट होने की धौंस भी आंदोलनकारियों को दिखाई। हमारे साथियों ने उनसे कहा भी कि हम यहां सरकार और उच्च प्रशासन से अपनी बात कहने के लिये आंदोलन कर रहे हैं, आपसे हमारा किसी प्रकार का असहयोग नहीं है, लेकिन तहसीलदार ने उनकी एक नहीं सुनी।
गैरसैंण में आंदोलनकारियों के साथ प्रशासन जिस तरह का व्यवहार कर रहा है वह न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है, बल्कि अमानवीय भी है। हम सब लोग इसका विरोध करने के साथ स्थानीय प्रशासन की शिकायत उच्च अधिकारियों और सरकार से कर रहे हैं। हमें लगता है कि ज्यों-ज्यों बजट सत्र नजदीक आ रहा है प्रशासन गलत तरीके से और गैरकानूनी तरीके से आंदोलनकारियों के दमन पर उतर आया है। हमें आशंका है कि यह दमन इस बीच और तेज होगा। हम इसका डठकर मुकाबला करेंगे। प्रशासन चाहता है कि आंदोलनकारियों को उकसाकर ऐसा माहौल बने ताकि उन्हें किसी तरह बजट सत्र तक आंदोलन को कमजोर कर सके। हम प्रशासन के किसी मंसूबों को कामयाब नहीं होने देंगे। उनके दमनात्मक कार्यवाही का जबाव दिया जायेगा। हम सब लोग अपने साथियों के साथ 18 मार्च को गैरसैंण पहुंचकर इस दमनात्मक कार्यवाही का प्रतिकार करेंगे और आगे की रणनीति भी तैयार करेंगे। हम आगे लोकतंात्रिक तरीके से ही अपना आंदोलन चलायेंगे। पिछले 100 दिनों में हमारे तीन दर्जन साथी बारी-बारी से आमरण अनशन में बैठे हैं। उनके इस जज्बे को किसी भी तरह कमजोर नहीं होने देंगे।
गैरसैंण में श्री नारायणसिंह जी के नेतृत्व में जो आंदोलन चल रहा है उसमें जसवंत सिंह, बल्ली भाई, देवेन्द्र सिंह, राजेश नेगी, धनीराम, कमला पंवार, कृष्णा नेगी, सरोज साह, लक्ष्मण पंवार, बल
वंत साह, सुरेन्द्र रावत, धूमा देवी, दानसिंह नेगी, पूरन सिंह नेगी, रणजीत साह लक्ष्मण खत्री और दिल्ली के हमारे साथी राजेन्द्र बिष्ट ने जिस तरह आंदोलन को आगे बढ़ाया है वह आगे ही बढ़ेगा। हम जिला प्रशासन और सरकार से मांग करते हैं कि वह अपने स्थानीय प्रशासन को समझाये कि वह आंदोलनकारियों के साथ सही तरीके से पेश आये। प्रशासन जानबूझकर माहौल को खराब करने की कोशिश न करे। हम मांग करते हैं कि महिलाओं के साथ अभद्रता करने वाले और बुजुर्गों से धक्कामुक्की करने वाले अधिकारियों पर शीघ्र कार्यवाही की जाये।
-इन्द्रजीत सिंह असवाल,पौड़ी गढ़वाल