बरसठी (जौनपुर) – जब एक औरत ही अपनी नवजात औलाद को ठुकरा दी तो गैरों का क्या कहना ।परंतु हर युग मे यशोदा रही है और आज भी मौजूद है ।जिनका कोई नही होता उन्हें अपनाने के लिए रीना और अशोक जैसे लोग आगे आकर समाज मे एक नई मिशाल पेश करते है।
ऐसा ही वाकिया आज बरसठी थाने के परियत गांव में देखने को मिला। जहां सुबह सुबह नहर के किनारे भोर में एक नवजात बच्ची के रोने की आवाज सुनकर शौच के लिए निकली महिलाओं ने देखा कि एक बच्ची रो रही है ,जब नजदीक जाकर देखा तो कोई बेरहम माँ ने अपने पाप को छुपाने के लिए लोक लाज के डर से जन्मी बच्ची को नहर के किनारे उसके भाग्य पर छोड़कर चली गई थी ।हालांकि उसकी
ममता भी उसे धिक्कारि होगी ,नन्हे नन्हे हाथ उसके आँचल को पकड़कर पूछे होंगें की मेरा कसूर तो बताती जा ।उस जन्म दात्री मां की आंखे भी छलकी होंगी और शायद उसका यही जवाब रहा हो कि तुम्हारा कसूर यही है कि इस अभागन के कोख से जन्म ली जो तुझे अपने सीने से लगाकर एक बूंद दूध भी नही पिला पाई। रोती हुई बच्ची को उठाकर घर ले आयीं ।नवजात लड़की मिलने की बात सुनकर जो जहां सुना उसे देख ने के लिए दौड़ पड़ा। लड़की मिलने के बात अपने मौसी के घर आई संतानहीन सुदनीपुर जौनपुर निवासी रीना और अशोक माली के कानों में पहुंची तो संतानसुख से वंचित रीना और अशोक माली अपने मौसा राजेन्द्र माली को लेकर मौके पर पहुंच गए।
पहले से मौजूद परियत के प्रधानपति छोटेलाल गुप्ता ,गांव के मुन्ना सिंह ,जगदीश मास्टर आदि से राजेन्द्र ने अपने भतीजी के बारे में बताते
हुए रीना को बच्ची को देने के लिए अनुनय विनय करने लगा ।प्रधानपति ने 100 नंबर की पुलिस बुलाकर बच्ची को लिखा पढ़ी करने के बाद रीना और अशोक को सौंप दिया ।बच्ची को गोंद में लेते ममता से खुशी के मारे आंखे छलक गई और पति पत्नी उसे डॉक्टर के पास स्वास्थ्य परीक्षण कराकर अपने घर ले गए ।इस बात की पूरे क्षेत्र में प्रशंसा हो रही है ।
संदीप सिंह ब्यूरो जौनपुर