आज नोट बंदी की दूसरी बरसी है। 8 नवंबर 2016 को सरकार ने नॉट बंदी का एलान किया था और 500 एवम 1000 के नोटों को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया था। लेकिन 31 दिसम्बर तक बैंकों से नोटों को एक सीमित मात्रा में बदला भी गया और लोगों ने इन नोटों को बैंक में अपने खातों में भी जमा करवाया।
नोट बंदी का दर्द सबने झेला। चाहे पब्लिक हो या व्यापारी लेकिन सबसे ज्यादा मार बैंक कर्मचारियों को पड़ी। देर रात रात तक बैंकों में काम किया, छुटइयां नही मिली, बहुत से बैंक कर्मचारी इस कारण से बीमार भी हो गए। बैंक कर्मचारियों का पैसा कम हुआ जिसको उन्होंने अपनी जेबों से भरा। लेकिन सबसे ज्यादा दुख की बात है कि 2 साल बीत जाने के बाद भी बहुत से बैंकों ने अपने कर्मचारियों को नोट बंदी के दौरान अतिरिक्त काम करने के लिये ओवरटाइम नही दिया।
ओवरटाइम तो छोड़ो बैंक कर्मचारियों का वेतन समझोता जो कि 1 नवंबर 2017 से लागू होना चाहिए था अभी तक नही हो पाया। इंडियन बैंक एसोसिएशन ने उसके लिए कई दौर की बैठकें कर ली लेकिन मात्र 6 प्रतिशत वृद्धि का प्रस्ताव दिया है। जो कि बेहद कम और शर्मनाक है।
नोट बंदी का काम करने के बाद सभी तरह की सरकारी योजनाओं को लागू करने के बाद भी सरकार और इंडियन बैंक एसोसिएशन का इस तरह का व्यवहार अच्छा नही है।
नेशनल आर्गेनाईजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स की सरकार से मांग है की जिन बैंकों ने ओवरटाइम नही दिया है उनको तुरन्त देने का आदेश दें और इंडियन बैंक एसोसिएशन को भी जल्दी से बैंक कर्मचारियों को एक सम्मान जनक वेतन वृद्धि देने का आदेश जारी करें।
-अशवनी राणा,उपाध्यक्ष,नेशनल आर्गेनाईजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स