प्रकृति की मार, किसान बेजार

कुशीनगर- भारत कृषि प्रधान देश है ये तो सभी जानते हैं किन्तु इसके साथ ही साथ हमारे गांवों में लोग कहा करते हैं कि “हमारी कृषि तो भगवान भरोसे होती है।” भगवान ने चाहा तो फसल अच्छे से हो जाएगी और नही चाहा तो तैयार खड़ी फसल बर्बाद होते देर न लगेगी।
वर्तमान समय जनपद के किसानों के लिए ऐसा ही साबित हो रहा है।विगत 27 फरवरी को हुए ओलावृष्टि एवं रुक रुक कर हो रहे बारिश से जनजीवन तो अस्तव्यस्त हो ही गया है साथ ही कई महिनों के मेहनत के फलस्वरूप खेतों में तैयार हुई तिलहन एवं आलू की फसल बर्बाद हो रही है।बेमौसम हो रहे बरसात ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है।पहले ओलावृष्टि और अब हो रही बरसात किसानों पर दोहरे मार की तरह है।बता दें कि जनपद में गेहूं, मटर, सरसो एवं आलू व्यापक पैमाने पर रवी की फसल के रूप में उगाई जाती है।जिसमें एक ओर जहाँ सरसो खेतों में पककर कटने के लिए तैयार है वहीं दूसरी ओर आलू भी मिट्टी से बाहर आने को बेताब है किन्तु मौसम ने ऐसी करवट ली है कि न तो आलू की खुदाई हो पा रही है और न ही सरसो के फसल की कटाई।ऐसे में हमारे यहाँ के किसानों का कथन सही साबित हो रहा है कि “हमारी खेती तो भगवान भरोसे है।”
अंतिम विकल्प न्यूज के लिए कुशीनगर से जटाशंकर प्रजापति

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