कांग्रेस ने जल्द ही कोई फैसला नहीं लिया तो पार्टी टूट सकती है। कांग्रेस पार्टी में बदलाव नहीं हो रहे है। कांग्रेस आज भी 75 पार वालो के भरोसे है।
युवा पीढ़ी एंव बुजुर्गों में मतभेद खुल कर सामने आ रहे है। जब से राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद छोड़ा है तब से कुछ नेता अपनी मनमानी कर रहे है।
कांग्रेस में संघर्ष करने वालो की सुनवाई नहीं है। जो कुर्सी से चिपके है और खुद खड़े नहीं हो सकते वो फैसले ले रहे है। व्यक्तिगत रूप से मेरा मानना है कि, राहुल द्वारा अध्यक्ष पद के लिए मना करने के बाद कांग्रेस के कुछ नेताओं द्वारा सोनिया, राहुल एंव प्रियंका को दरकिनार किया जा रहा है।
कांग्रेस पार्टी में ऐसा कोई सिस्टम नहीं है जिससे कार्यकर्ता की मेहनत का आकलन हो। युवा कांग्रेस के समय से काम कर रहा हूँ। आये दिन नए नए प्रयोग होते है, लेकिन कोई भी सफल नहीं हुआ। युवा कांग्रेस में काम करने के बाद सीनियर कांग्रेस में कोई नहीं पूछता। दोबारा ज़ीरो से शुरू करना पड़ता है।
कांग्रेस एक नहीं है। हर राज्य में नेताओं के हिसाब से कांग्रेस बंटी पड़ी है। अगर आप सभी नेताओं को तवज्जों दोगे तो आप की छवि सिर्फ दरी बिछाने वाले कार्यकर्ता के रूप में बनी रहेगी। अगर आप को नेता बनना है, या चुनाव लड़ना है, तो एक नेता से जुड़ना होगा। इसका मतलब बाकी नेताओं से आपको दूरी रखनी होगी। आपका नेता पास हो गया तो आप भी पास वर्ना ठन ठन गोपाल।
कांग्रेस के गिरते प्रदर्शन के पीछे एक बड़ा कारण युवा संग़ठन का कमजोर होना है। युवा कांग्रेस किसी भी राज्य में कांग्रेस की सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थी, लेकिन जब से इस संगठन में नए नए प्रयोग हो रहे है और चुनावी प्रणाली आई है तब से यह बहुत कमजोर हुआ है।
अशोक तंवर को पार्टी ने अध्यक्ष बनाया। लाखों साधारण परिवार के कार्यकर्ताओं ने उनका साथ दिया। तंवर के पार्टी छोड़ने के बाद, वो सभी कार्यकर्ता आज अनाथ है।
आखिर वो लोग कहां जाए ?
किसको अपना नेता माने ?
पार्टी द्वारा मनोनीत अध्यक्ष को जब कुछ ताकतवर लोगों की वजह से अध्यक्ष नहीं माना जाता तो एक आम कार्यकर्ता की क्या पूछ होगी ?
कुल मिला कर सार यह है कि कांग्रेस का भविष्य खतरे में है।
आज पार्टी एंव उसके कार्यकर्ताओं को यह नहीं पता कि सोनिया गांधी कब तक अंतरिम अध्यक्ष रहेगी ?
आज कार्यकर्ताओं को यह नहीं पता कि उनका अगला अध्यक्ष कौन होगा और कब होगा ?
आज कार्यकर्ताओं को यह नहीं पता कि 75 वर्ष की उम्र पार कर चुके नेता जिंदा रहते उनके लिए कुर्सी छोड़ेंगे या उनके मरने का इंतजार करना होगा ?