बड़ागांव /वाराणसी- बड़ागांव थाना क्षेत्र स्थित काजिसराय में दी हेल्थ सिटी हॉस्पिटल के डॉक्टर ने बताया कि वायरल फीवर सामान्यतः वायरस का बुखार या वायरल इंफेक्शन। यह बुखार के जैसा ही होता है।
इसके शुरूआती के कुछ दिनों में शारीरिक रुप से ज्यादा थकान महसूस होना, मांसपेशियों,बदन में गंभीर दर्द होने की समस्या का होना। वायरल फीवर ज्यादातर छोटे बच्चों और बुजुर्गों को जल्दी प्रभावित कर सकता है, क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम काफी कमजोर रहता है। वायरल फीवर आमतौर पर हवा में फैलने वाले वायरल संक्रमण से हौता है
हम कह सकते हैं कि वायरल फीवर एयरबॉर्न होता है। लेकिन, इसके अलावा इसका कारण दूषित पानी के फैलने के कारण भी हो सकता है जिसे हम वाटरबॉर्न संक्रमण कहते हैं। इसके अलावा, वायरल फीवर और बैक्टीरियल संक्रमण के शुरूआती लक्षण भी एक जैसे हो सकते हैं, जिस वजह से इनके बीच के अंतर को स्पष्ट करना मुश्किल हो सकता है।
वायरल फीवर और बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होने वाले बुखार में कैसे अंतर कर सकते हैं?
वायरल फीवर और बैक्टीरियल संक्रमण में अंतर समझने के लिए आप निम्न बातों का ध्यान रख सकते हैंः
वायरल फीवर के लक्षण
शरीर का तापमान 102 डिग्री फारेनहाइट से ज्यादा होना
पिछले 48 घंटो के बाद भी शरीर के तापमान में कमी नहीं आना
बैक्टीरियल संक्रमण के लक्षण
शरीर में दर्द होना
पूरी त्वचा पर चकत्ते निकलना
सिर दर्द होना
लक्षण-
वायरल फीवर के लक्षण-
अगर शरीर का तापमान 99 ° F से 103 ° F (39 ° C) तक है या इससे अधिक है, तो यह वायरल बुखार के लक्षण हो सकते हैं। इसके अलावा इसके निम्न लक्षण भी हो सकते हैं, जैसेः
ठंड लगना
बहुत पसीना आना
डिहाइड्रेशन की समस्या
सिरदर्द करना
मांसपेशियों में दर्द होना
बदन दर्द होना
कमजोरी महूसस करना
भूख में कमी होना
गले में दर्द होना
खांसी-जुकाम होना
डायरिया होना
उल्टी आना
पेट में दर्द होना
नाक बहना
बंद नाक
आंखें लाल होना
खाना निगलने में कठिनाई महसूस करना
शरीर के अलग-अलग जोड़ों में दर्द होना
गले में खराश
चेहरे में सूजन आना
चक्कर आना
सामान्य तौर पर, ये लक्षण आमतौर पर कुछ दिनों में अपने आप ठीक भी हो सकते हैं। लेकिन, अगर अगर ऊपर बताए गए निम्न में से कोई भी लक्षण एक हफ्ते से अधिक समय तक के लिए बने रहते हैं या स्वास्थ्य स्थिति अधिक खराब हो जाती है, तो आपको जल्द ही अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
कारण
वायरल फीवर के क्या कारण हो सकते हैं?
दरअसल, हमारे शरीर के अंदर ऐसे कई वायरस होते हैं, जो शरीर में बाहर से प्रवेश करने वाले संक्रमणों से लड़ते हैं और शरीर को सुरक्षा प्रदान करते हैं। लेकिन, कमजोर इम्यूनिटी के कारण ये शरीर के ये गुड वायरस की संख्या कम हो सकती है, जो बाहरी संक्रमण से शरीर की सुरक्षा करने में असमर्थ हो सकते हैं। इसके अलावा, बुखार या वायरस बुखार होने पर अचानक या धीरे-धीरे हमारे शरीर का तापमान अधिक हो जाता है। जिसका मतलब होता है कि हमारे शरीर के वायरस शरीर में प्रवेश करने वाले बाहरी वायरस से लड़ रहे होते हैं। ये बाहरी वायरस किसी भी स्वस्थ्य शरीर के अंदर तेजी से फैल सकते हैं।
वायरल फीवर के ऐसे कई मुख्य कारण हो सकते हैं जिससे हमारा शरीर संक्रमित हो सकता है। जिसमें शामिल हो सकते हैंः
ऐसे किसी व्यक्ति से सामान्य या यौन रूप से संपर्क में आना जिसे किसी तरह का संक्रमण जैसे- सर्दी-खांसी या फ्लू हुआ हो
प्रदूषित वातावरण में रहना
दूषित पानी या भोजन का सेवन करना
मच्छरों या किसी कीट का काटना जो डेंगू, मलेरिया, रेबीज या बुखार जो जन्म देते हो
वायरल संक्रमित व्यक्ति का खून प्राप्त करना, जैसे- किसी हेपेटाइटिस बी या एचआईवी संक्रमित व्यक्ति का खून प्राप्त करना
जंग लगे या पहले से किसी द्वारा इस्तेमाल किए गए इंजेक्शन या ब्लेड का इस्तेमाल करना
रोकथाम और नियंत्रण
वायरल फीवर को कैसे रोका जा सकता है?
वायरल फीवर की रोकथाम करने के लिए आप निम्न बातों का ध्यान रख सकते हैं, जैसेः
शरीर में इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत बनाना। इसके लिए अपने दैनिक आहार में पोषक तत्वों को शामिल करें।
हमेशा स्वच्छ आहार और पानी पीएं
बहुत भीड़-भाड़ वालों इलाकों में न जाएं
प्रदूषित स्थानों में न रहें
छह से आठ घंटों की नींद लें
भरपूर मात्रा में पानी पीएं
लेकिन अगर आपका वायरल बुखार तीन से चार दिनों के बाद भी है या आपको सांस लेने में अधिक परेशानी हो रही है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
उपचार
वायरल फीवर का उपचार कैसे किया जाता है?
आमतौर पर वायरल फीवर का उपचार घरेलू देखभाल के जरिए ही ठीक हो सकता है। कुछ मामलों में आप अपने डॉक्टर की सलाह पर मेडिकल स्टोर पर मिलने वाली एंटीवायरल दवाओं जैसे, एसिटामिनोफेन, ओसेल्टामिविर फॉस्फेट (टैमीफ्लू) या पैरासटोमोल का भी सेवन कर सकते हैं। इन दवाओं को आपको डॉक्टर की सलाह की आवश्कता हो सकती है, लेकिन सेहत के नजरिए से आपको अपने डॉक्टर के पास जाकर ही उचित सलाह लेनी चाहिए।
इन बातों का भी रखें ख्याल
18 साल से कम उम्र के बच्चों को एस्पिरिन की खुराक न दें। क्योंकि, इनमें रेये सिंड्रोम (reye’s syndrome) होने का जोखिम बढ़ सकता है। एस्पिरिन उनके दिमाग और लीवर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।
गुनगुने पानी से स्नान करें
शरीर को हाइड्रेटेड बनाए रखें
ताजे फलों के जूस का सेवन करें
ज्यादा से ज्यादा आराम करें
एंटीबायोटिक्स से बैक्टीरिया के कारण जो बुखार होता है उसका उपचार कर सकते हैं। अगर आपको वायरल बुखार है, तो इसकी खुराक न लें।
डॉक्टर ने आपको जो दवाएं दी हैं, उनका समय पर सेवन करें और साथ ही वायरल फीवर के लक्षण अगर ट्रीटमेंट के दौरान भी ठीक नहीं हो रहे हैं तो डॉक्टर को इसकी जानकारी दें।
डॉ प्रशान्त कुमार
MD, FIPC, ACCC
जनरल फिजिशियन
परामर्श चिकित्सक