कहीं पत्रकारिता का भविष्य खतरे में तो नहीं?

  • देश के सभी पत्रकारों को किया जाए सूचीबद्ध
  • पत्रकारिता की गरिमा बचाने के लिए पत्रकारों की भी शैक्षिक योग्यता हो निर्धारित
  • सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत लाया जाये ऑनलाइन मीडिया
  • देश में जल्द लागू हो पत्रकार सुरक्षा कानून

जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया ने वर्तमान समय मे चल रहे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ यानि पत्रकारिता के भविष्य को लेकर चिंता जाहिर की।संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग सक्सेना ने वर्तमान पत्रकारिता पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पहले पत्रकारिता एक मिशन हुआ करती थी पत्रकारिता के क्षेत्र मे पढे लिखे लोग ही आते थे जो समाज को एक नई दिशा देते थे किंतु आज वह सब दिखाई नहीं देता।आज पत्रकारिता के लिए कोई मापदंड ही नहीं है पहले एक साप्ताहिक समाचार पत्र के पत्रकार को वह सम्मान मिलता था जिसकी एक पत्रकार अपेक्षा करता है किंतु आज ऐसा नहीं है।पत्रकारिता पूरी तरह से व्यवसायिक हो चुकी है।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के आने से प्रिंट मीडिया को झटका लगा था आज डिजिटल मीडिया का जमाना आ चुका है सोशल मीडिया पर आज हर कोई पत्रकारिता कर रहा है ।डिजिटल मीडिया के आने से पत्रकारिता का भविष्य ही खतरे मे आ गया है ।इस विषय मे देश के तमाम पत्रकार संगठन डिजिटल मीडिया की नियमावली व इसके रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को लाने के लिए सरकार से मांग कर चुके है।सरकार की ओर से 2006 से इसके लिए नियमावली बनाने की बात कही जा रही है इसके लिए एक कमेटी भी गठित की गयी केन्द्र की मोदी सरकार ने 2019 मे एक बिल का मसौदा भी तैयार किया। यह बिल सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा ब्रिटिश शासन काल के प्रेस और रजिस्ट्रेशन ऑफ बुक्स पीआरबी अधिनियम 1867 की जगह नये प्रेस एवं पत्रिका पंजीकरण विधेयक 2019 (Ragistration of press and periodicals 2019) का विधेयक प्रस्तावित किया गया था जिसमे सरकार ने लोगो की राय भी जानी थी। इस विधेयक के अनुसार डिजिटल न्यूज को भी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत लाये जाने की योजना थी जिसमे न्यूज वेबसाइट के रजिस्ट्रेशन का भी प्रावधान था। लेकिन अभी तक इसके आगे की कार्यवाही की कोई जानकारी नही मिली।
यह सब न होने से आज हर जगह पत्रकार ही पत्रकार हो गये। जिससे लगातार पत्रकारिता का स्तर गिरता गया।
आज डिजिटल मीडिया समाज तक अपनी पकड़ बना चुका है।लोकतंत्र में सबको अपनी बात कहने का अधिकार है लेकिन पत्रकारिता का एक मापदंड भी निर्धारित हो यह भी जरूरी है।देश मे पत्रकारो पर हमले क्यों बढ रहे है यह बडा सबाल है और चिंतनीय भी ।सभी संगठन पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग कर रहे है लेकिन आज पत्रकार की परिभाषा क्या है।देश मे कितने पत्रकार है क्या वह कही सूचीबद्ध है नही केवल सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त पत्रकार ही है तो बाकी कौन है यह भी सवाल है और चिंतनीय भी। क्या पत्रकार की शैक्षिक योग्यता निर्धारित नही होना चाहिए जरूर होना चाहिए इन्ही सब के चलते आज पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़े लोग अपने आप को अपमानित महसूस करने लगे है। सरकार का ध्यान इस ओर क्यों नही जाता। अब भी नहीं चेते तो वह दिन दूर नही जब पत्रकारिता का भविष्य ही खत्म हो जायेगा।

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