सरकार यही मरेंगे लेकिन पाकिस्तान नहीं जाएंगे नागिरकता और मन दोनों ही भारतीय हैं

बाड़मेर / राजस्थान- राज्य में बड़ी संख्या में पाक विस्थापित हिंदु अल्पसंख्यक रह रहे हैं, लेकिन भारतीय नागरिकता देने के कानूनी नियमों की जटिलता के कारण उन्हें भारतीय नागरिकता हासिल करने के लिए सालों से जिला मुख्यालयों सहित सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। ऐसे में अब गृह विभाग राजस्थान सरकार ने पाक विस्थापितों को नागरिकता देने के नियमों में छूट देने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखेंगे ताकि विस्थापित नागरिकों को भारतीय नागरिकता लेने में सहूलियत होगी।

वरिष्ठ उप शासन सचिव गृह और जेल विभाग भवानी शंकर ने बताया कि बाड़मेर जिला मुख्यालय पर पाक विस्थापितों को नागरिकता देने के लिए राज्य सरकार द्वारा सरहदी इलाकों के जिला मुख्यालयों पर कैम्प लगाकर राहत पहुंचाई जा रही है।

भवानी शंकर ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के 2014 के एक आदेश के मुताबिक 31 दिसंबर 2009 या इससे पहले भारत आए अफगान और पाकिस्तान अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य को भारतीय नागरिकता के लिए वैध पारपत्र की जरूरत नहीं है। इनमें पाकिस्तान औेर अफगान से आए हिंदु और सिख शामिल हैं। ऐसे में राज्य सरकार द्वारा केंद्र सरकार को पत्र लिखेंगे कि 31 दिसंबर 2013 को या इससे पहले भारत आए नागरिकों को पारपत्र वैधता बढ़वाने की अवधि में छूट यदि दी जाती है तो राज्य सरकार को कोई आपत्ति नहीं है। राज्य सरकार ने केंद्र से इस बारे में लिए जाने वाले निर्णय से अवगत कराने के लिए भी कहा है, जिससे पाक विस्थापितों से सम्बंधित लंबित नागरिकता प्रकरणों पर विचार किया जा सके। जानकारों के मुताबिक राज्य में लगभग पच्चीस हजार पाक विस्थापित निवास कर रहे हैं और भविष्य में इनमें से पात्र नागरिकों को भारतीय नागरिकता दी जानी है।

पाक विस्थापितों ने टाऊन हॉल में बताया कि गृह विभाग ने केंद्र से कहा है कि 31 दिसंबर, 2009 के बाद भारत आए पाक नागरिकों को भारतीय नागरिकता के लिए वैध पारपत्र की जरूरत होती है। लेकिन सरकार द्वारा राहत देने से हमारे को राहत मिलेगी। इस पारपत्र की अवधि बढ़वाने के लिए दिल्ली स्थित पाकिस्तान दूतावास के अधिकारियों और कर्मचारियों की हठधर्मिता के चलते पासपोर्ट नवीनीकरण ही नहीं किया जाता है और फिर सुविधा शुल्क के साथ ही प्रति व्यक्ति आठ दस हजार रुपए का शुल्क लिया जा रहा है, जबकि राज्य में रह रहे अधिकांश पाक विस्थापित गरीब व्यक्ति हैं। ये लोग अपने आधा दर्जन परिवारजनों का भारी-भरकम शुल्क जमा कराने में असमर्थ हैं और इसके चलते वे जिला मुख्यालयों पर भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन नहीं कर पाते हैं‌। भारतीय नागरिकता लेने के लिए जिला कलेक्टर कार्यालय में हमारे पासपोर्ट को जमा किया जाता है तो हमारे को कोई एतराज़ नहीं है लेकिन भारतीय नागरिकता तो दीजिए। विदेशी पंजिकरण अधिकारी बाड़मेर की रिपोर्ट के अनुसार दो सौ सात आवेदन है जो सात साल से अधिक समय से लम्बित है।

इस संबंध में राज्य के गृह विभाग के वरिष्ठ शासन उप सचिव भवानी शंकर ने बताया कि आज विशेष नागरिकता शिविर में आए चार पांच दर्जन ज्ञापनों को केन्द्र सरकार गृह मंत्रालय भेज कर मार्गदर्शन प्राप्त किया जाएगा। ओर आज़ आईं बी की गोपनीय रिपोर्ट की क्लियरेंस के अभाव में तीन दर्जन प्रकरणों में पाक विस्थापितों को नागरिकता से वंचित होना पड़ेगा।

वर्तमान में तीन दर्जन पाक विस्थापितों की नागरिकता के आवेदन-पत्र जिला कलेक्टर कार्यालय में लम्बित है ओर एक दर्जन लोगों को भारतीय नागरिकता के प्रमाण पत्र देने के लिए पात्रता पूरी हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय के विदेश अनुभाग के अवर सचिव को पत्र लिखकर विस्थापित नागरिकों को नवीनीकरण करने से होने वाले दर्द को समझने के बाद भारतीय नागरिकता देने में जरूर सहूलियत होगी।

– राजस्थान से राजूचारण

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