बाड़मेर जिले में भी ऐसा ही माहौल है आजकल:राज्य में रजिस्ट्री करने की आड़ में करोड़ों रुपए का घपला

बाड़मेर/राजस्थान- राज्य में रजिस्ट्री करने की आड़ में करोड़ों रुपए का घपला उजागर हुआ है। पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग में यह घपला पिछले दो तीन साल से चल रहा था। अब तक पांच जिलों में घपला होने की बात सामने आई है। अभी बड़े स्तर पर सब-रजिस्ट्रार कार्यालयों में जांच-पड़ताल चल रही है। यह घोटाले का घपला रजिस्ट्री व अन्य दस्तावेज का पंजीयन कराने के दौरान स्टाम्प शुल्क की ई-ग्रास के जरिए राशि जमा कराने की फर्जी रसीदें लगाकर किया गया है।

बड़ी बात यह है कि यह घपला विभाग में दो तीन साल से चल रहा था लेकिन अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा
मिलीभगत के चलते पंजीयन विभाग के अधिकारी भी आंखें मूंदे बैठे रहे। जबकि सब-रजिस्ट्रार की जिम्मेदारी होती है कि स्टाम्प शुल्क जमा करने की रसीदों की जांच तत्काल कर विभागीय खाते में शुल्क जमा होने की पुष्टि करते। लेकिन सब-रजिस्ट्रार जांच करने की बजाय चहेते डीडराइटर व अन्य लोगों को अपने हिसाब किताब के अनुसार हस्ताक्षर कर रजिस्ट्री थमाते रहे। फिर भी इन जिम्मेदार विभागीय अधिकारियों -कर्मचारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। खास बात यह है कि पंजीयन एवं मुद्रांक महानिरीक्षक ने तो विभागीय अधिकारियों और डीडराइटर की गलती मानने की बजाय रजिस्ट्री कराने वाले लोगों को ही इस मामले में दोषी बता दिया।

विभागीय अधिकारियों के मुताबिक राजधानी जयपुर सहित बांसवाड़ा, भीलवाड़ा, भरतपुर और धौलपुर जिले में कराई गई जांच में अब तक रजिस्ट्री के 676 मामलों में घोटाला सामने आया है। लेकिन विभाग ने इस पूरे घोटाले की जिम्मेदारी रजिस्ट्री कराने वाले उन भोले-भाले लोगों पर डाल दी है, जिन्होंने डीडराइटर व अन्य रजिस्ट्री कराने वाले लोगों को स्टाम्प शुल्क के पूरे पैसे देकर रजिस्ट्री कराई। डीडराइटर व अन्य लोग विभाग के प्रति जिम्मेदार होते हैं। ऐसे में यदि स्टाम्प शुल्क कम जमा कराया जाता है तो विभागीय अधिकारियों के साथ उनकी भी जिम्मेदारी बनती है। लेकिन यहां तो ई-ग्रास की फर्जी रसीदें लगाकर करोड़ों रुपए के घोटाले का अंजाम दिया गया है।

ई-ग्रास के जरिए चालान जमा करवाने में जमकर फर्जीवाड़ा तो जयपुर में ही सबसे ज्यादा हुआ है। यहां सब-रजिस्ट्रार कार्यालय 2, 5, 8 व 10 में ही 450 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। इनमें फर्जी चालान ई-ग्रास के जरिए राशि जमा कराने के लगाए गए हैं। इसके अलावा बांसवाड़ा में 34, भीलवाड़ा 25, भरतपुर व धौलपुर में करीब 27 मामले सामने आ चुके हैं। इनके जरिए 7.94 करोड़ की राजस्व की हानि राज्य सरकार को हुई है। ई-ग्रास के फर्जी चालान के जरिए जो रजिस्ट्री हुई है, उनमें जमा कराई जाने वाली राशि की 15 से 20 फीसदी ही राशि जमा हुई है। संभावना जताई जा रही है कि 20 फीसदी राशि का नया ई-चालान जमा करवाकर जीआरएन नंबर जारी किया गया। बाद में उसे एडिट करके राशि बढ़ा दी गई। हालांकि यह विभागीय जांच का विषय है।

रजिस्ट्री में करोड़ों रुपए के घोटाले की मुख्य वजह डीडराइटर व अन्य उन लोगों पर विश्वास करना है जो लोगों की रजिस्ट्रियां कराते हैं। बाड़मेर में कलेक्ट्रेट परिसर कार्यालय या फिर अन्य किसी भी सब-रजिस्ट्रार कार्यालय की बात करें तो अंदर कमरों में कर्मचारियों से ज्यादा रजिस्ट्री कराने वालों की भीड़ हर समय रहती है। जो काम कर्मचारियों को दस्तावेज स्कैन व जमा हुए पंजीयन शुल्क जमा होने के करने चाहिए, वे काम डीडराइटर के भरोसे छोड़ दिए जाते हैं। बाद में बगैर किसी जांच के सब-रजिस्ट्रार भी आंखें मूंदकर हस्ताक्षर कर देते हैं। इस घपले के उजागर होने के बाद अब सख्ती बरतने के साथ जमा राशि की रसीदों की गहन पड़ताल की जा रही है।

रजिस्ट्री कराने वाले लोगों की गलती है कि वह हमारे कार्यालय में आएं ही क्यों। जब उन्हें ई-पेमेंट या बैंक चालान के माध्यम से अपने खाते से पैसा जमा करवाना था तो तीसरे व्यक्ति के खाते से पैसा क्यों जमा करवाया गया ? हालांकि हम विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत की जांच भी करा रहे हैं। इसके लिए हाइपावर कमेटी गठित की गई है।

  • महावीर प्रसाद, महानिरीक्षक पंजीयन व मुद्रांक विभाग
  • – राजस्थान से राजूचारण

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