बाड़मेर /राजस्थान- कमोबेश यही हाल इनदिनों खुद सचिन पायलट और उनके समर्थकों का समझ नही आ रहा है कि वे करे तो करे क्या ? कई बार नई नई स्टाइल से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को धमकाने और ब्लैकमेल करने की कोशिश की । इन धमकियों का असर तनिक भी गहलोत पर नही पड़ा ।उलटे पायलट समर्थित विधायक गहलोत के द्वार पर चरणस्पर्श करने के लिए उतावले खड़े है ।
पूर्व मंत्री तथा वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हेमाराम चौधरी ने इस उम्मीद से विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया था ताकि बहुत बड़ा राजनीतिक विस्फोट कर सके । लेकिन उनका इस्तीफा सुर्री की तरह सुर्र होकर रह गया । विस्फोट होना तो दूर रहा, किसी ने इस सुर्री को अहमियत देने से इनकार कर दिया । चौधरी समर्थकों को पूरी उम्मीद थी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रभारी अजय माकन तथा प्रियंका गांधी उनको जरूर मनाएगी । परन्तु किसी ने हेमाराम चौधरी से बात करना भी मुनासिब नही समझा । फिलहाल हेमाराम चौधरी के त्यागपत्र का मामला ठंडे बस्ते में सिमटकर रह गया है ।
हेमाराम चौधरी अपने जीवन में केबिनेट मिनिस्टर, छह बार विधायक और एक बार नेता प्रतिपक्ष रह चुका हो, क्या उन्हें नियम 173 की जानकारी नही होगी ? बिल्कुल होगी । फिर इन्होंने त्यागपत्र देने का आखिरकार स्वांग क्यों रचा ? यदि हेमाराम को इस्तीफा देना ही था तो उन्हें अध्यक्ष के सामने त्यागपत्र देने की प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए थी । इस तरह मेल के जरिये त्यागपत्र देने के पीछे स्पष्ट रूप से मुख्यमंत्री को ब्लैकमेल करने की मंशा थी ।
हेमाराम चौधरी के इस्तीफे के बाद सचिन पायलट खेमे के वेदप्रकाश सोलंकी और बालोतरा के युवा विधायक मदन प्रजापत ने भी इस्तीफ़ा देने की सार्वजनिक धमकी दी । इनको भी उम्मीद थी कि आलाकमान उन्हें मनाते हुए चिकित्सा और परिवहन विभाग का मंत्री बनवा देगा । बेचारों के सारे अरमान आंसूओ में बह गए । किसी ने बात करने तक कि आवश्यकता नही समझी ।
इसी तरह पायलट गुट के प्रखर नेता रमेश मीणा ने भी विधानसभा में माइक की आड़ लेते हुए अनुसूचित जाति व जनजाति के विधायकों की सहानुभूति हासिल करने के लिए बहुत ही घिसे-पिटे फार्मूले के तहत इन जाति के विधायकों पर भेदभाव बरतने का आरोप लगाया था । रमेश मीणा को उम्मीद थी भारी संख्या में एसटी और एससी के विधायक आएंगे ।समर्थन देना तो दूर रहा, विधायको ने मीणा की इस हरकत को ही बचकानी बताया था ।
असन्तुष्ट नेता हर बार माचिस से बम जलाने की ख्वाहिश रखते है । लेकिन बेचारे बीड़ी सुलगाने में भी हर बार नाकामयाब रहते है । इन हरकतों से सबसे ज्यादा किरकिरी हो रही है । मानेसर जाकर अपनी कार्यकुशलता का परिचय दें चुके है । प्रियंका और राहुल ने भी झांसा देकर पायलट गुट के साथ छल और प्रपंच किया । इनके झांसे में आकर कई असतुष्टो ने अनेक बार नई पोशाक तक बनवा ली ।
चर्चा है कि हेमाराम चौधरी और वेदप्रकाश सोलंकी आदि सारा उधम सचिन पायलट के इशारे पर कर रहे है । अगर ऐसा है तो उनकी यह चाल भी बुरी तरह से फ्लॉप हुई । अगर सचिन को भनक नही थी तो यह और भी बुरा हुआ । यानी सचिन पायलट खेमे के विधायक जेवड़ी तुड़ाकर भागने पर आमादा है । उधर चर्चा है कि हेमाराम चौधरी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने हथियार डाल दिये । सचिन गुट के कद्दावर नेता कल अपनी उपस्थिति मुख्यमंत्री के समक्ष दर्ज करवा चुके है । स्वार्थ के लिए एकत्रित हुई भीड़ अब धीरे-धीरे बिखरने लगी है ।
सचिन पायलट सारी स्थिति से बेहद आहत और अंदर से पीड़ित है । इज्जत भी गई और पद प्रतिष्ठा भी । उधर समर्थक विधायक उनके कपड़े फाड़ने पर अमादा हों रहें है । समझौता कराने वाली प्रियंका और राहुल बिल्कुल भी पायलट को अहमियत नही दे रहे है । इन हालातों में व्यक्ति का डिप्रेस होना स्वाभाविक है । अगले चुनाव में सचिन पायलट या उनके समर्थकों को टिकट मिल जाएगी, यह भी संशय बना हुआ है । वैसे भी अगली सरकार किसी भी हालत में कांग्रेस की बनने से रही । उन हालातो में सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों का भविष्य फुल एन्ड फाइनल – खल्लास ।
ऐसे समय के लिए ही प्रसिद्ध गीतकार संतोष आनंद ने ये पंक्तियां लिखी –
घर फूंक दिया हमने, अब राख उठानी है ।
मैं मंत्री पद का भूखा नही हूँ – हेमाराम चौधरी
इस्तीफे के बाद हेमाराम का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू कांग्रेस के असन्तुष्ट नेता हेमाराम चौधरी ने इस बात का खंडन किया है कि उनकी मुख्यमंत्री या राजस्व मंत्री से कोई नाराजगी है । मुख्यमंत्रीजी हमारे नेता है । इस लिहाज से उनका सम्मान करना प्रत्येक कांग्रेसी विधायक का बुनियादी दायित्व है । जहां तक हरीश चौधरी से अदावत की बात है, मेरे किसी से भी खराब सम्बन्ध नही है । यह कहना है हेमाराम चौधरी का । उन्होंने कहाकि हरीश जी मेरे छोटे भाई के समान है तथा वे मेरा पूरा सम्मान देते है । ऐसे में अदावत की बात करना बेमानी और कल्पित है । इस्तीफा देने के बाद खुद हरीशजी तथा पीसीसी अध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा का फोन आया था । दोनों यही जानना चाहते थे कि आखिर मैंने अचानक इस्तीफा क्यो दिया । मुझे न तो मंत्री पद का लालच है और न ही मैंने व्यक्तिगत कार्य को लेकर इस्तीफा दिया । मैं केवल इतना चाहता हूँ कि मेरे विधानसभा क्षेत्र गुढ़ामलानी में समुचित विकास हो । इस क्षेत्र की जनता ने मुझे 6 बार चुनकर विधानसभा भेजा है । अगर मैं उनकी कसौटी पर खरा नही उतरता हूँ तो व्यर्थ है विधायक बनना..।
– राजस्थान से राजू चारण