बरेली। कोरोना संक्रमण के लक्षण आने पर लोगों को तुरंत जांच कराने की सलाह दी जा रही है। लेकिन जांच रिपोर्ट में भेदभाव किया जा किया जा रहा है। वीआईपी और अफसरों की जांच रिपोर्ट एक ही दिन मे आ जाती है जबकि जनरल लोगों की जांच रिपोर्ट पांच से सात दिन बाद तक नही आ रही है। ऐसे में कोरोना पॉजिटिव के मरीजों की हालत गंभीर हो जा रही है। कई मरीजों की तो रिपोर्ट आने से पहले मौत हो जाती है। जिले मे प्रतिदिन कोरोना संक्रमितों की संख्या बढने के चलते संदिग्धों की जांच भी बढ़ गई है। प्रतिदिन चार से साढ़े हजार जांच कराने के निर्देश दिए गए हैं। इसमें एंटीजन निगेटिव आने वालों की आरटी-पीसीआर जांच के निर्देश है। शासन से भी आरटी-पीसीआर जांच बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन जिले में एक मात्र बीएसएल-2 लैब होने के चलते आरटी-पीसीआर जांच बेहद धीमी गति से हो पा रही है। यही वजह है कि जांच रिपोर्ट पांच से सात दिन बाद तक नहीं आ रही है। लेकिन इस महामारी और आपदा में भी वीआईपी और अफसरों का खास ख्याल रखने के साथ ही उनकी जांच रिपोर्ट भी एक ही दिन मे आ रही है। जबकि जरनल लोगो की जांच रिपोर्ट का कुछ पता नहीं है। जिस वजह से संक्रमितों की हालत तेजी से बिगड़ रही है। जिन्हें कोरोना के समय पर इलाज न मिलने पर अस्पतालों मे भर्ती करना पड़ रहा है तो कई मरीज तो जांच रिपोर्ट के इंतजार मे ही दम तोड़ रहे है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सैंपल की संख्या अधिक हो गई है। एक ही लैब होने के चलते कुछ परेेशानी आ रही है। रिपोर्ट 72 घंटे में दिए जाने के लिए कहा गया है। पांच से सात दिन लगने की बात गलत है। जिला अस्पताल में औसतन रोजाना ढाई सौ आरटी-पीसीआर जांचे होती हैं। जिसमें करीब चार दर्जन तक जांचे वीआईपी लोगों की होती हैं। अफसर नेताओं के घर पर जाकर सैंपल लिए जाते हैं और 24 घंटे के भीतर उनकी रिपोर्ट भी आ जाती है। वहीं आम आदमी लाइन में लगकर जांच कराता है। उसके बाद उसे रिपोर्ट आने का कोई सटीक समय तक नहीं बताया जाता। फिर उसकी रिपोर्ट आने में सात दिन तक लग जाते है। कोरोना संक्रमण के तेजी से फैलने की एक वजह सैम्पलिंग की धीमी गति को भी माना जा रहा है। सोमवार को पूरे जिले में सीएचसी, पीएचसी को मिलाकर कुल 3058 लोगों के ही सैम्पल लिए गए। जिसमें से 1912 की जांच रिपोर्ट आई। अब पंचायत चुनाव निपट चुके हैं और सीएम के भी निर्देश जांचों की संख्या बढ़ाने के है। अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी सम्पलिंग कराई जाएगी। आरटी-पीसीआर की जांच रिपोर्टे देरी से आने के कारण वास्तविक संक्रमितों को समय पर इलाज भी नहीं मिल पाता है। अगर कोई संक्रमित की जांच हो जाती है और रिपोर्ट आने तक काफी समय लग जाता है तो समय से वह इलाज शुरू नही कर पाता है। रिपोर्ट आने तक उसकी हालत काफी बिगड़ चुकी होती है। कई मामले तो ऐसे भी है कि कोरोना पॉजिटिव की रिपोर्ट मिलने से पहले ही मरीज की मौत हो गई।।
बरेली से कपिल यादव