बरेली। बेसिक के स्कूलों को डिजिटल बनाने के लिए शासन ने दानदाताओं का सहारा लिया है। बेसिक स्कूलों में दानदाताओं के माध्यम से कंप्यूटर, प्रोजेक्टर, स्मार्ट टीवी आदि लगवाए जाएंगे। पहले चरण में बेसिक के हर स्कूल में कम से कम एक कक्षा कक्ष को स्मार्ट क्लास बनाने की तैयारी है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने दीक्षा पोर्टल, ई पाठशाला, ई बस्ता, राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी आदि के माध्यम से डिजिटल पठन-पाठन की सामग्री उपलब्ध उपलब्ध करवा रहा है। राज्य स्तर पर भी कक्षाओं को बेहतरीन बनाने के लिए डिजिटल पोस्टर और ई बुक्स विकसित की जा चुकी है। अधिकांश स्कूलों में कंप्यूटर, प्रोजेक्टर, स्मार्ट टीवी आदि नहीं हैं। इस कारण छात्र-छात्राओं और शिक्षकों को ई-सामग्री का लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में शासन ने डिजिटल बनाने के लिए दानदाताओं की सहभागिता की बात कही है। अपर मुख्य सचिव ने इस संबंध में सभी जिलों को पत्र जारी किया गया किया है। किसी भी राजकीय उपक्रम या निजी कंपनी से कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत यह चीजें ली जा सकती हैं। इसके साथ ही कोई निजी व्यक्ति, कोई संस्था, संगठन, समिति, ट्रस्ट, फर्म, व्यापारिक संगठन, औद्योगिक संगठन आदि से भी स्कूल दान ले सकता है। शासन ने डिजिटल सुविधाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए स्मार्ट क्लास में लोहे का दरवाजा होगा। इस दरवाजे पर डबल इंटरलॉकिंग की व्यवस्था की जाएगी खिड़की पर लोहे की ग्रिल लगाई जाएगी और सुरक्षा की जिम्मेदारी शिक्षामित्र, विद्यालय के रसोईया अथवा विद्यालय के निकट निवास कर रहे परिवार को दी जाएगी। जिन स्कूलों में बिजली नहीं है वहां सोलर लाइट इनवर्टर और बैटरी की व्यवस्था की जाएगी। इंटरनेट के लिए 200 रुपये प्रति माह कंपोजिट ग्रांट के अंतर्गत दिया जाएगा।
दान के सामान की भी गुणवत्ता तय
शासन ने दानदाताओं से मिलने वाले सामान की भी गुणवत्ता और पैसे तय कर दिए हैं। जो कंप्यूटर दान में लिया जाएगा उसमें इंटेल कोर का आई3 प्रोसेसर, स्टोरेज 240 जीबी, रैम 4 जीबी, ग्राफिक्स इंटेल एचडी, एचडीएमआई डिस्प्ले आदि फीचर होने चाहिए। इसकी कीमत लगभग 35 हजार होगी। प्रोजेक्टर और स्क्रीन 27 हजार की और स्मार्ट टीवी 43200 रुपये तक का होना चाहिए। अधिकतम 18 हजार रुपये में एक इंवर्टर-बैटरी ली जायेगी।।
बरेली से कपिल यादव