बरेली। कोरोना संक्रमण मरीजों को वायरस के असर से सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। इस वजह से शरीर में तेजी से ऑक्सीजन की कमी होने के कारण मरीज की जान पर बन आती है। जीवन बचाने के लिए वेंटीलेटर से ऑक्सीजन थेरेपी देकर ऑक्सीजन की पूर्ति का प्रयास होता है। अब इस मशीन से पहले हाई फ्लो नेचर कैनुआ मशीन का प्रयोग होगा। 300 बेड अस्पताल के एसीएमएस डॉ वागीश वैश्य ने बताया कि यह मशीन जीवन रक्षक की भूमिका निभाएगी। क्योंकि इसमें 1 मिनट में 60 लीटर तक मरीज को ऑक्सीजन देकर जीवन बचा सकते हैं। ऐसी 12 मशीनें 300 बेड अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में इंस्टॉल हुई है। फिलहाल सामान्य ऑक्सीजन पाइप से 15 लीटर तक मरीज को ऑक्सीजन मिलती है। कोरोना मरीजों में ऑक्सीजन की 90 फ़ीसदी कमी से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की संभावना रहती है। इस स्थिति में शरीर पर कोरोना का असर तेजी से बढ़ने लगता है। इन मरीजों कि 15 से 60 लीटर तक ऑक्सीजन देने से जान बच सकती है। आगे डॉ वागीश ने बताया कि कोविड का मरीज सही ठीक से सांस नहीं ले पाएगा तो उसकी सेहत बिगड़ सकती है। कोरोना वायरस के असर से मरीज की सांस नली और फेफड़ों में सूजन आती है। इस वजह से जरूरत अनुसार ऑक्सीजन नहीं ले पाता है। इससे उसकी हालत गंभीर हो जाती है। इस स्थिति में वेंटिलेटर का इस्तेमाल होता है लेकिन इसकी नौबत न आए उसके लिए हाई फ्लो नेचर कैनुला मशीन का इस्तेमाल होगा। इस मशीन के प्रयोग से 24 से 48 घंटे में मरीज की सेहत में सुधार की उम्मीद है। इतना ही नहीं मशीन का प्रयोग बेहद सावधानी से किया जाएगा।।
बरेली से कपिल यादव