पौड़ी गढ़वाल- उत्तराखंड जनपद रूद्रप्रयाग के भरदार पट्टी के 50 या 60 गाँव में पानी की समस्या जस के तस बनी हुई हूँ यहाँ पानी पहुँचाने की कोई भी व्यवस्था नही हैं जो कुछ जलस्रोत हैं वो भी सूखने की कगार पर हैं। ऐसा ही गाँव दरमौला भरदार भी इसी स्थिति से गुजर रहा है।यहाँ का हुड़यानो का धारा जिसमे नीचे और ऊपर दो धारें हैं। कुछ परिवारों के तो नजदीक है कुछ ऐसे परिवार जिन्हें घंटों इंतजार (अग्ल्यार) के बाद पानी मिलता है फ़िर 1घंटा आने जाने में लगता है।
आजकल कहीँ महीनों के बाद घर आई तो मुझे भी हररोज पहेले की तरह पानी लाने सारने का मौका मिला पहेले हम हुड़यानो से आगे घटगदरा से पानी लाते थे कहीँ घंटे का रास्ता पाँव,कंधे,रीढ़हड्डी में दर्द यही होता था जो आजकल भी होता है।
मेरी माँ सुबह जल्दी उठके जल्दी- जल्दी पानी सारति है
तो माँ से पूछती हूँ – माँ तेरा हाथ खोटा पीड़ा नी होँदि ह्वेली
मेरी आदत तुटी इले वह्नी
पर माँ बोल्दी हमूतेत आदत च,ज्यादा नी हुँदि के कन ल्युण नी पाणि त
सचि नी होँदि वेली सभी कमजोर वया छन माँ ,गोँगि चाची, बोडी पाणि सारी सारी
मुझे आजकल बुरा इस बात का लगा हामारा गाँव पहेले की स्थिति में पहुँच गय़ा है..
पलायन से ग्रस्त है, स्वास्थ्य सुविधाएँ नहीँ हैं,जंगल समाप्त होने की कगार पर हैं, स्वीली का एकमात्र प्राइमरी स्कूल बंद हो रहा है।इस पर कोई नहीँ सोच रहा है।
यहाँ पानी के लिए लोग सोच रहे हैं केसे आएगा ?
बाकी बेटी ब्वारियो को फुर्सत नही इन विषयों पर सोचने का उनका पानी लाने में घंटों बर्बाद होते हैं।
यहाँ प्रतिनिधि सिर्फ वोट माँगने आते हैं चाहे वो कन्डारि हो रावत हो या चौधरी और यहाँ के प्रधानपति, छेत्रपती,जिलापंचायतपति लोकल पोलिटिक्स में नगण्य हैं।
इन्हें कुछ नहीँ मालूम इन्होने कभी पानी सारा ही नही तो
लेकिन दरमौला वाले इनसे बहुत जल्द पानी सराना चाहते हैं।
साभार : राजपाल नेगी
इंद्रजीत सिंह असवाल