उत्तराखंड – प्रखंड रिखणीखाल और नैनीडांडा के गांवों को जोड़ने वाली मिलन की आस मंदाल नदी के बिजरगड्डी के निकट बने झूला पुल को कई वर्ष बीत गए लेकिन आज तक का आलम यह है कि इस पुल को सबने राह काट कर उपयोग कर अपने हाल पर छोड़ा।कभी गांवों की पैदल आबादी झेलने वाले पुल को सत्तर के दशक में बनाया गया, जिसके बाद कुछ समय बाद बीच में मरम्मत का काम भी हुआ।मंदाल नदी पर बने कुछेक पुल बाढ़ की भेंट भी चढ़े लेकिन यह दोनों तरफ से पत्थर की चट्टान पर बना मजबूत खड़ा अचंभित करने वाला है तथा नदी जलस्तर से तीस फीट ऊंचा है।जिला परिषद के मार्ग पर अवस्थित इस पैदल पार पुल के अलावा खदरासी के बाद बिरण चिलाऊं ल्वींठिया सेरा के पास काली नदी का पुल भी इसी तरह जीर्ण-शीर्ण हालत में है।अंदरोली जिला पंचायत वार्ड के अधीन दोनों ही पुलों का अपना सामरिक महत्व है।सन् सत्तर के दशक में स्थापित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खदरासी में पढ़ने वाले छात्रों,, अध्यापकों व नाते रिश्तेदारी के लिए यह पुल वरदान साबित रहा है।इस पुल से आज भी कांडा नाला,तैड़िया,पांड,दियोड़,जवाड़ियूंरौल,बसुसेरा सहित दर्जनों गांव लाभान्वित होते हैं। वर्तमान स्थिति यह है कि ग्रामीणों ने दोनों तरफ लकड़ी के डंडे लगाकर पार करने का जुगाड़ किया है,पैर टेढ़े पड़ने मात्र से हादसा हो सकता है। क्षेत्र पंचायत सदस्य बिनीता ध्यानी का कहना है कि समीपवर्ती गांव के लोग दवाइयां लेने भी राजकीय ऐलोपैथिक चिकित्सालय खदरासी आते हैं, साथ ही कुटाई पिसाई, स्कूली बच्चे इस रास्ते से गुजरते हैं।ऐसी भयावह स्थिति में अभिभावक अपने बच्चों को छोड़ने में संकोच में रहते हैं। जिला पंचायत सदस्य अंदरोली अजीत सिंह बिष्ट का कहना है कि उक्त के संबंध में डीपीसी हेतु प्रस्ताव तैयार किया गया है धनराशि अवमुक्त होते ही कार्य शुरू किया जायेगा।
– बिनीता ध्यानी,रिखणीखा