वाराणसी – काशी हिंदू विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर एनएसयूआई के छात्रों द्वारा जेएनयू, उत्तराखंड के मेडिकल कॉलेजों और आईआईटी बीएचयू समेत देश के प्रमुख प्राविधिक संस्थानों, सरकारी शिक्षण संस्थानों में फीस वृद्धि के खिलाफ प्रतिरोध सभा और विरोध मार्च का आयोजन किया गया। छात्रों ने सभा को सम्बोधित करते हुए स्पष्ट कहा कि इन संस्थानों के छात्रों की फीस वृद्धि वाला फरमान वापस लिया जाए और निकट भविष्य में सरकारी शिक्षण संस्थानों में किसी भी तरीके की फीस वृद्धि नहीं होनी चाहिए। छात्रों का कहना था कि किसी भी देश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता फीस बढ़ाकर नहीं बल्कि संसाधनों को सरकारी खर्चे से बढ़ाकर की जाती है । सरकार उच्च शिक्षा का बजट घटाकर और इस तरीके से तानाशाही फीस वृद्धि के जरिए छात्रों को सस्ते शिक्षा से दूर रखना चाहती है । छात्रों ने 60 के दशक से लम्बित कुंजरू समिति की रिपोर्ट जिसके अंतर्गत शिक्षा पर बजट का 6% खर्च करने की बात कही गयी है कि डिमांड की । वर्तमान मोदी सरकार बड़े बड़े डिंग हांकती है शिक्षा पर । नई शिक्षा नीति के सपने दिखाकर और हर साल 10 विश्वविद्यालय खोलने के वादे के साथ आई मोदी सरकार ने 2014 के बाद से आजतक क्या किया है ? जब से बीजेपी सरकार में आई है भारतके प्रत्येक कैम्पस में आए दिन छात्रों का असंतोष दिख रहा है। फीस लगातार बढाई जा रही है। सीट कम किये जा रहे है। शिक्षकों की नियुक्ति नही हो रही है । ऐसे में कैसे न्यू इंडिया की बात सोची जा सकती है ? शिक्षा के बाजारीकरण और निजीकरण का जो हमला है वो भारत जैसे देश के लिए एक खतरा बनकर उभर रहा है। इस दौरान मणिन्द्र मिश्र निवर्तमान अध्यक्ष महानगर काँग्रेस, धनंजय सुग्गू,विकास सिंह, रामायण पटेल, चंदन सागर, दीपक, नीरज रेहान, ओम शुक्ल पूर्व अध्यक्ष महानगर यूथ कांग्रेस, रोशन, विक्रांत, मोहम्मद आमिद, शानू पांडेय, अनिकदेव, विनय आदि छात्र मौजूद रहे।
रिपोर्टर:-महेश पाण्डेय