नई दिल्ली : राफेल डील और अनिल अंबानी की कंपनी का टैक्स माफ करने संबंधी फ्रांसीसी
अखबार लू मुंद में प्रकाशित रिपोर्ट पर सियासी बखेड़ा शुरू हो गया है। रिलायंस कम्यूनिकेशन ने रिपोर्ट का खंडन करते हुए कहा कि टैक्स विवाद को उन कानूनी प्रावधानों के तहत हल किया गया, जो फ्रांस में संचालित सभी कंपनियों के लिए
उपलब्ध हैं। उधर, रक्षा मंत्रालय ने उद्योगपति अनिल अंबानी की फ्रांस स्थित कंपनी को फ्रांस सरकार द्वारा कर में छूट दिये जाने को लेकर मचे बवाल पर कहा है कि इसे फ्रांस के साथ राफेल विमान सौदे से जोडऩा अनुचित और भ्रमित करना है। इस बारे में मीडिया में रिपोर्ट आने के बाद हरकत में आये मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि मंत्रालय ने इन रिपोर्टों का संज्ञान लिया है। इन रिपोर्टों में एक निजी कंपनी को कर में छूट दिये जाने को भारत के फ्रांस सरकार के साथ राफेल लड़ाकू विमान सौदे से जोड़कर देखा जा रहा है। मंत्रालय ने कहा है कि न तो कर में छूट की अवधि और न ही कर में छूट के मुद्दे का राफेल सौदे से दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं है। मंत्रालय ने कहा है कि कर के मुद्दे और राफेल सौदे को एक-दूसरे से जोडऩा पूरी तरह से गलत , पक्षपातपूर्ण और गलत जानकारी देने की शरारतपूर्ण कोशिश है।
दरअसल लु मुंद की शनिवार को प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया कि भारत के 36 राफेल विमान खरीदने के ऐलान के कुछ महीने बाद ही 2015 में फ्रांस सरकार ने रिलायंस कम्यूनिकेशन की फ्रांस में रजिस्टर्ड टेलिकॉम सब्सिडियरी के टैक्स को माफ कर दिया। इस बीच कांग्रेस ने फ्रेंच न्यूजपेपर की रिपोर्ट के बाद कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि मोदी कृपा से फ्रांस की सरकार ने अनिल अंबानी की कंपनी के अरबों रुपये का टैक्स माफ किया।