राजस्थान चुनाव में यह होंगे भाजपा के तुरुप के पत्ते

राजस्थान- राजस्थान में कांग्रेस भले ही जीत के सपने देख रही हो, लेकिन बीजेपी आलाकमान ने तय कर रखा है कि पार्टी हथियार नहीं डालने वाली. अमित शाह पिछले तीन महीने से संगठन को दुरुस्त करने मे लगे हैं, तो बीजेपी के ट्रंप कार्ड पीएम मोदी की कम से एक दर्जन रैलियों की तैयारी पूरे राजस्थान में कराने की तैयारी चल रही है. बीजेपी को भरोसा है कि चाहे लाख सत्ता विरोधी लहर हो, लेकिन लड़ाई तो जीतने के लिए ही होगी. हम आपको बताते हैं क्या हैं बीजेपी के तुरुप के पत्ते:-
पीएम मोदी रैलियां:-
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की विकास यात्राएं, तो पिछले कई महीनों से चल रहीं हैं. लेकिन पांच साल की एंटी इंकम्बेंसी को मिटाना राज्य की बीजेपी सरकार के आसान काम नहीं. पार्टी पीएम मोदी का नाम और मोदी सरकार के काम पर ही भरोसा कर रही है. 11 नवंबर को राजस्थान के उम्मीदवार तय करने के लिए बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक दिल्ली मे होगी. भारी संख्या में मौजूदा विधायकों के टिकट कटने के आसार हैं, लिहाजा सर फुटव्वल भी तय है. उसे शांत करने के लिए भी वरिष्ठ नेताओं को पहले से ही तैयार रखा गया है।चुनाव प्रचार जब जोर पकड़ेगा तब पार्टी के स्टार प्रचारक पीएम नरेंद्र मोदी मैदान में उतरेंगे. पार्टी के सूत्र बताते हैं कि हार के डर से पीएम मोदी की रैलियों की संख्या कम करने की खबर बिल्कुल गलत है. पार्टी ने तय किया है कि पीएम मोदी कम से कम 14 चुनावी सभाएं करेंगे, ताकि हर विधानसभा क्षेत्र तक उनकी गूंज सुनाई दे सके.
शुरुआत 23 नवंबर को अलवर जिले से होगी. फिर 26 नवंबर को जयपुर और भीलवाड़ा जाएंगे. 27 नवंबर को नागौर और कोटा में जन सभाएं होंगी तो 28 नवंबर को बैणेश्वर धाम डुंगरपुर और दौसा मे पीएम मोदी रैली करेंगे. 4 दिसंबर को पीएम हनुमानगढ, सीकर और जोधपुर में चुनावी सभाएं करेंगे. जाहिर है कि उज्जवला योजना से लेकर केंद्र सरकार की बाकी योजनाओं से जो फायदा जमीनी स्तर तक पहुंचा है, उसे भुनाने की कोशिश की जाएगी।।

योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता—आस्था के साथ साथ यूपी की सफलता:-
बीजेपी आलाकमान राजस्थान में भी यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी पूरा इस्तेमाल करने का मन बना चुका है. गोरखनाथ मठ से आस्था रखने वाले लोग राजस्थान के हर जिले में रहते हैं। और योगी खुद हर जगह दिखाई दें तो वोटरों को मनाया भी तो जा सकता है। आखिर राजस्थान वीरों की भूमि होने के साथ साथ आस्था और भक्ति की भी भूमि के रुप में जानी जाती है।तभी तो पार्टी ने तय किया है कि योगी आदित्यनाथ की 40 जन सभाएं कराई जाएंगी। और इसकी शुरुआत 5 नवंबर को बीकानेर से हो चुकी है जहां योगी आदित्यनाथ पूरे दिन के लिए पार्टी का प्रचार कर रहे थे. और बीजेपी से बेहतर कौन जानेगा कि भक्ति में भी शक्ति होती है.
अमित शाह की व्यूहरचना:-
राजस्थान को लेकर चिंता आलाकमान के मन में भी थी. नए अध्यक्ष को लेकर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का अड़ना भी आलाकमान को फजीहत में डाल गया था. लेकिन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के दिल और दिमाग में यही था कि मोर्चा नहीं संभाला तो हार तो पार्टी को ही मिलेगी और नुकसान सबका होगा। इसलिए उन्होंने राजस्थान के ताबड़तोड दौरे किए। ब्लॉक स्तर से लकर बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से मुलाकात की. उनकी शिकायतें सुनी,उनका दर्द बांटा. गाड़ियों में राजस्थान की सड़कों की धूल फांकी, उन्हें भरोसा दिलाया कि पार्टी की जीत में ही उनकी भी जीत है. ये सब काम हुए लेकिन वो भी सीएम वसुंधरा राजे से अलग. मुख्यमंत्री खुद पूरे राज्य में यात्राओं में लगीं रहीं. किसानों को मुफ्त बिजली देने के ऐलान ने अगर काम किया तो फायदा तो बीजेपी को ही होगा।।
संगठन महामंत्री चंद्रशेखर का संगठन पर जोर:-
सूत्र बताते है कि राज्य की पार्टी इकाई के संगठन महामंत्री चंद्रशेखर को ज्यादातर लोग नहीं पहचानते। लेकिन लोग ये भी नही जानते हैं कि पिछले कई महीनों से वे देश भर से पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं को राजस्थान बुलाने में लगे थे। अब चुनावों में एक महीना बचा है और उनकी मेहनत का आलम ये है कि हर विधानसभा क्षेत्र में एक एक योजना का प्रचार संघ और संगठन से जुडे कम से कम 10 पूर्णकालिक कार्यकर्ता मोदी सरकार की एक एक योजना का फायदा गिना रहे हैं और आम वोटर को भरोसा दिला रहे हैं कि बीजेपी पर ही भरोसा रखें तो ही बेहतर होगा. सूत्रों की माने लगभग एक लाख पूर्णकालिक कार्यकर्ता इस वक्त राजस्थान में काम कर रहे हैं और हर विधानसभा क्षेत्र में मौजूद हैं।।
टिकटों के ऐलान के बाद तमाम आला मंत्रियों को भी राजस्थान के जिले जिले में भेजा जाएगा:-
बीजेपी के रणनीतिकारों को लग रहा है कि कांग्रेस ने अपने कैंपेन के शिखर पर थोड़ी जल्दी ही पहुंच गई. मीडिया में ज्याद जगह भी अब तक कांग्रेस को ही मिल रही थी. अब कांग्रेस ने अपने सारे पत्ते खोल दिए हैं जब प्रचार जोर पकड़ेगा. इसलिए तैयारी अब हुई है तमाम केंद्रीय मंत्रियों को मैदान में उतारने की इन मंत्रियों के दौरे सिर्फ राजधआनी जयपुर तक ही सीमित नहीं रहेंगे. राज्य की छोटी छोटी जगहों पर भी उन्हे पार्टी की उपस्थिति दर्ज करानी होगी।जाहिर है रास्ता जरा मुश्किल है. लेकिन बीजेपी ने तैयारी कर ली ही पूरा जोर लगाने की. वैसे भी इन चुनावों को मिशन-2019 का सेमीफाइनल माना जा रहा है. इसलिए तय यही हुआ है कि चाहे जो भी हो लड़ाई तो जीतने के लिए ही लड़नी है।

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