राजस्थान रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल के कारण प्रदेश में तीसरे दिन भी रोडवेज बसों का संचालन नहीं हुआ। यात्रियों को रोडवेज की जगह बस, जीप और अन्य वाहनों से जाना पड़ा। उधर, परिवहन विभाग ने लोगों की सुविधा के लिए तीन दिन में करीब 900 बसों का अस्थाई परमिट जारी किया है।
यह है हड़ताल की गणित
1 – साथ में लोक परिवहन सेवा की बसों को रोडवेज बसों के मार्ग पर लगाया गया है। ये बसें रोडवेज के बराबर किराया लेंगी। हड़ताल की वजह से रोडवेज को तीन दिन में करीब 15 करोड़ का नुकसान हुआ है।
साथ ही कर्मचारियों के वेतन कटौती से रोडवेज को तीन दिन में करीब 7.5 करोड़ रुपए का फायदा हुआ है। इसके साथ ही 6 करोड़ रुपए डीजल की बचत होगी।
2- कर्मचारियों को हड़ताल के दौरान का वेतन नहीं मिलेगा। सेवानिवृत कर्मचारियों को फायदा होगा। इन्हें दबाव से मिले 50 करोड़ रुपए से बकाया भुगतान होगा। हड़ताल पर रहने से रोडवेज को दो दिन में करीब 5 करोड़ रुपए कर्मचारियों के वेतन और 4 करोड़ डीजल पेटे बचेंगे। रोडवेज में करीब 17 हजार कर्मचारी हैं।
इनके वेतन में हर महीने करीब 70 करोड़ रुपए जाते हैं, जबकि रोडवेज को हर महीने बसों से करीब 150 करोड़ की आय है और खर्चा करीब 200 करोड़ रुपए है। हर महीने 50 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। इसकी भरपाई सरकार 45 करोड़ दे कर रही है।
यह है हड़ताल की वजह
हड़ताल की वजह सरकार पर कर्मचारियों का दबाव बनाना है क्योंकि ढ़ाई महीने बाद प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में कर्मचारी जाती सरकार पर दबाव बना कर मांगे मनवाना चाहते हैं। हड़ताल का नेतृत्व भी रोडवेज से सेवानिवृत कर्मचारी कर रहे हैं।
ये कर्मचारियों भ्रमित करके हड़ताल के लिए उकसा रहे हैं जबकि रोडवेज कॉरपोरेट संस्था है। इसमें सरकार का हस्तक्षेप नहीं होता। इसके बावजूद भी सरकार हर महीने 45 करोड़ रुपए दे रही है।