मीरजापुर-शालिनी अग्निहोत्री की जुबानी। ऊना के ठट्ठल गांव की शालिनी अग्निहोत्री, जिनकी पहले पहचान थी आईपीएस टे्रनी की टॉपर। लेकिन आज शालिनी अग्निहोत्री शिमला में प्रोवेसनर आईपीएस अधिकारी के तौ र पर काम कर रही हैं। बहुत ही साधारण परिवार में पली बढ़ी शालिनी ने कड़ी मेहनत के बाद यह मुकाम हासिल किया है। शालिनी ने कड़ी मेहनत के बाद यह मुकाम हासिल किया है।
शालिनी की मम्मी दसवीं पास थी और वे मेरा होमवर्क करवाने में मेरी मदद करती, बचपन से शौक था कि पुलिस में जाना है। यहां तक पहुंचने के लिए 18 महीने तैयारी की।
शालिनी ने बताया कि हम दो बहनें और एक भाई हैं। मेरी बड़ी बहन रजनी अग्निहोत्री डॉक्टर है, जबकि मेरा छोटा भाई आशीष इंडियन आर्मी एनडीए पूना में ट्रेनिंग कर रहा है। मेरे पापा भले ही बस कंडक्टर थे, लेकिन मेरी मम्मी घर के कामों के साथ हमारा पूरा ध्यान रखती थी। उन्होंने बताया कि हम सभी को मम्मी-पापा ने बराबर पढ़ाया और इस काबिल बनाया कि आज हम दोनों बहने अपने पैरों पर खड़े होकर अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रही हैं।
ऊना के दूरदराज गांव ठठ्ठल की यह पहली बेटी है जिसने आईपीएस पुलिस अधिकारी बनकर अपने गांव का नाम रोशन किया है। शालिनी के पिता रमेश कुमार अग्निहोत्री धर्मशाला में एचआरटीसी में कंडक्टर हैं, जबकि माता शुभलता गृहिणी हैं। शालिनी ने बताया कि पापा ने धर्मशाला में किराये का मकान ले रखा था जहां हम लोग रहते थे। मेरी शिक्षा धर्मशाला पब्लिक स्कूल से हुई। वहां दूसरी कक्षा तक पढ़ी। इसके बाद धर्मशाला में भागीरथदास डीएवी स्कूल से दस जमा दो किया। ग्रेजुएशन श्रवण कुमार कृषि विवि से और पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी लुधियाना से एमएसई की।
अपने माता-पिता को रेस्पेक्ट दें और उनका पूरा ध्यान रखें, जिन्होंने हमें इस काबिल बनाया है।
अपने बैच की रही टॉपर
शालिनी ने यूपीएससी मई 2011 में यह एग्जाम दिया। मार्च 2012 में इंटरव्यू दिया और मई 2012 में रिजल्ट आ गया, जिसमें ऑल इंडिया लेवल पर 285वां रैंक मिला। दिसंबर 2012 में हैदराबाद में ट्रेनिंग ज्वाइन की। वहीं 148 का बैच था, जिसमें टॉपर रही।
मीरजापुर से बृजेन्द्र दुबे की रिपोर्ट