मध्यप्रदेश ,आगर मालवा (सुसनेर)- इस बार नागपंचमी का विशेष महत्व रहेगा। देश की आजादी के बाद दूसरी बार 15 अगस्त के दिन ही नागपंचमी मनेगी। इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा। यह शुभ योग 15 अगस्त सुबह 11. 48 से शुरू होकर शाम 4. 13 बजे तक रहेगा। इससे पहले 38 साल पहले 15 अगस्त 1980 को नागपंचमी आई थी।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार नागपंचमी श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है। पूर्ण कालसर्प योग होने के कारण ही इस बार महत्व ज्यादा है। 15 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि के समय पुष्य नक्षत्र तथा चंद्रमा व चार अन्य ग्रह सूर्य, बुध, शुक्र, की साक्षी में पंचग्रही योग था। इस दिन पूर्ण कालसर्प योग भी था। इसी वजह से देश की कुंडली में पूर्ण कालसर्प योग है। यही कारण है कि यह विशेष दिन पर बनने वाला योग सुख-समृद्धि और शांति उपाय की शुभ घड़ी लेकर आ रहा है। पुराणों के अनुसार पृथ्वी का भार शेषनाग ने उठाया हुआ है, इसलिए उनकी पूजा का विशेष महत्व है। यह दिन गरुड़ पंचमी के नाम से भी प्रसिद्ध है और नाग देवता के साथ इस गरुड़ की भी पूजा की जाती है। पंडित गोविंद शर्मा ने बताया ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में योगों के साथ दोषों को भी देखा जाता है। कालसर्प दोष एक बहुत ही महत्वपूर्ण दोष होता है। इससे मुक्ति के लिए भी ज्योतिषाचार्य नागपंचमी पर नाग देवता की पूजा करने के साथ दक्षिणा का महत्व बताते हैं। किसी कुंडली में कालसर्प दोष है तो नागपंचमी के दिन पूजा करने से कालसर्प दोष दूर हो जाता है। रुद्राभिषेक करने से भी जातक की कालसर्प दोष दूर हो जाता है।
राजेश परमार, आगर मालवा